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मोदी के विकास को जनादेश

रामबहादुर राय वरिष्ठ पत्रकार rbrai118@gmail.com भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. कांग्रेस ने दो साल पहले कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी को हायर किया था और कांग्रेस को भरोसा था कि यह कंपनी भारत में झूठ फैलाकर और फेक न्यूज का प्रचार करके नरेंद्र मोदी के काम को ढक देगी. गरीबों के […]

रामबहादुर राय

वरिष्ठ पत्रकार
rbrai118@gmail.com
भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. कांग्रेस ने दो साल पहले कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी को हायर किया था और कांग्रेस को भरोसा था कि यह कंपनी भारत में झूठ फैलाकर और फेक न्यूज का प्रचार करके नरेंद्र मोदी के काम को ढक देगी. गरीबों के लिए और अति पिछड़ों के लिए मोदी जी ने जो काम किया है,उसको कांग्रेस ने झूठ का प्रचार बना लिया था. लेकिन कांग्रेस के खिलाफ वोट करके हमारे भारतीय लोकतंत्र के प्रबुद्ध जनमत ने समझदारी दिखायी है और यहां के सुधी मतदाताओं ने सही फैसला किया है. मैं समझता हूं कि यह जनादेश बहुत शानदार है.
साल 2019 का चुनाव उसी तरह का है, जैसा 1957 का चुनाव था. इन दोनों चुनावों में मैं कुछ समानताएं देखता हूं. ऐसा मानने का मेरा आधार यह है कि साल 1952 में जवाहरलाल नेहरू को मिली जीत के बाद जब 1957 का चुनावा आया, तब नेहरू की कई विफलताएं सामने आयीं. फिर भी उस वक्त की जनता ने नेहरू को दोबारा चुना. नरेंद्र मोदी भी साल 2014 से लेकर कई मोरचे पर विफल रहे हैं, फिर भी जनता ने उन्हें आज दोबारा चुन लिया है.
लेकिन, एक बड़ी समानता यह है कि साल 1952 में नेहरू के सामने उनकी पार्टी के और बाहर के भी कई दिग्गज नेता थे, जिनके मुकाबले उन्हें चुनाव में उतरना पड़ा. इसी तरह 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने बराबर के और बड़े नेता उनकी पार्टी और बाहर दोनों जगह थे, लेकिन साल 2019 में नरेंद्र मोदी के सामने कोई भी नहीं है. यह सिर्फ इसलिए नहीं है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, बल्कि इसलिए कि नरेंद्र मोदी ने बहुत शानदार काम किया है. कठोर परिश्रम और गरीबों के लिए रात-दिन काम करने के लिए नरेंद्र मोदी में जो माद्दा है, वह किसी और नेता में नहीं है.
नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था- ‘हमने पांच साल गरीबों की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया और अब आगे पांच साल हम देश के गरीब और अति पिछड़ों की आकांक्षाओं पर ध्यान देंगे.’ नरेंद्र मोदी का यह वाक्य उनके पिछले पांच साल के कार्यकाल को परिभाषित करता है. जिन लोगों ने मोदी पर तमाम आरोप लगाये और झूठ-मूठ की बातें फैलायीं, उस पर मतदाताओं ने अपने निर्णय से करारी चपत लगायी है.
हमारे देश में तीन तरह की राजनीति एक लंबे समय से चलती चली आ रही थी- वंशवादी राजनीति, जाति-पात की राजनीति और एक बनावटी सेक्युलरिज्म की राजनीति. इन तीनों तरह की राजनीति की विदाई हो गयी है इस चुनाव में. इन्हीं तीनों राजनीति के आधार पर कांग्रेस और कई क्षेत्रीय पार्टियों ने देशभर में अपनी ओछी राजनीति की, जिसको जनता ने नकार दिया.
नरेंद्र मोदी के ऊपर आरोप चाहे जो हों, लेकिन तथ्य यह बता रहे हैं कि उन्होंने गरीबों के लिए जिन कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया, उसमें उन्होंने हिंदू-मुसलमान का भेद नहीं किया, जाति नहीं देखी, बल्कि जो जरूरतमंद हैं, उनके लिए काम किया. तमाम परियोजनाओं को जनता के लिए लेकर आये, ताकि देश का निर्माण एक आयाम स्थापित कर सके.
नरेंद्र मोदी की सबसे खास बात यह रही कि अगर कोई तमिलनाडु के लिए योजना है, तो उन्होंने चेन्नई में जाकर उसे हरी झंडी दिखायी. अगर उत्तर प्रदेश के गरीबों के लिए योजना है, तो उन्होंने उत्तर प्रदेश के किसी अति पिछड़े जिले में जाकर उसका उद्घाटन किया. ऐसा पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री मोदी ने सभी योजनाओं को लेकर अपनी तैयारी और रणनीति को बाकी सभी नेताओं से बिल्कुल अलग रखा.
इस नतीजे का बहुत बड़ा संदेश यह भी है कि सपा और बसपा के मिल जाने मात्र से ही वे मैदान जीत लेंगे, यह हवा फुस्स हो गयी. बसपा को हमने बहुत नजदीक से देखा है. कांशीराम से मेरा मिलना-जुलना रहा था.
कांशीराम ने जिस तरह से बसपा को खड़ा किया था, उसमें एक जाति नहीं बल्कि बहुजन को शामिल किया था. लेकिन, आज की बसपा उससे बिल्कुल अलग है. उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ी जातियां ज्यादातर एक समय में कभी सपा के साथ रहती थीं, तो कभी बसपा के साथ थीं. लेकिन, आज वे सभी अति पिछड़ी जातियां नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ हैं. यह सबका साथ सबका विकास की राजनीति का ही नतीजा है.
कहा जाता रहा है कि लोकतंत्र में विकास नहीं हो सकता. लेकिन, नरेंद्र मोदी ने इस अवधारणा को गलत साबित कर दिया है. मोदी ने यह कर दिखाया है कि लोकतंत्र की विविधता में अगर ईमानदार नेतृत्व हो और उसका इरादा मजबूत हो, तो वह नेता एक चमत्कारी परिणाम ला सकता है.
यह बात नरेंद्र मोदी ने अपने कड़े फैसलों से साबित कर दिया है. चाहे जीएसटी का मामला हो या फिर मुसलमान और किसानों का मामला हो, कांग्रेस कहती रही है कि व्यापारी, गरीब, मुसलमान और किसान सब संकट में हैं, कांग्रेस के इस झूठ का कोई आधार नहीं था. कुछ समस्याएं रही होंगी जरूर, लेकिन जाति-धर्म देखकर नरेंद्र मोदी ने कोई काम किया हो, इस चुनाव परिणाम से साबित किया है कि लोगों ने फिर एक बार मोदी सरकार पर भरोसा जताया है.
जैसा कि मैंने पहले कहा कि यह चुनाव साल 1957 के जैसा चुनाव रहा, जिसमें यह बात सामने आयी है कि मोदी की कुछ विफलताओं पर ध्यान न देकर जनता ने उनके बड़े-बड़े कामों और विकास की भावी योजनाओं को चुना. मोदी की 18 घंटे काम करने की जो क्षमता है, उस पर लोगों ने पांच साल और देने का निर्णय किया है और इस निर्णय से यह भी उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे और देश-समाज को एक नयी ऊंचाई पर ले जायेंगे.
इस चुनाव परिणाम से सबसे बड़ी बात यह साबित होने जा रही है कि अब भारत का लोकतंत्र और भी मजबूत होगा. इसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो, यह आश्वासन मोदी जी ने पहले ही दे दिया था, इसलिए जनता ने उनके आश्वासन को स्वीकार कर अपना जनादेश सुना दिया है. मुझे पूरा विश्वास है कि आगामी पांच साल भी मोदी जी विकास को ही प्राथमिकता देंगे.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)

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