वर्तमान लोकसभा चुनाव में राजनीतिक मूल्य अपने निचले स्तर पर आ गया है. अपनी शुचिता के लिए विश्व में पहचान रखने वाले देश में लोकतंत्र के इस महापर्व में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नेताओं का उद्देश्य एक दूसरे को गाली गलौज और नीचा दिखाना ही रह गया. निजी आक्षेपों के इस दौर में जनहित के मुद्दे गौण होते जा रहे हैं, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
अगर अपने देश के लोकतंत्र की गरिमा को बनाये रखना है, तो बेहतर होगा ऐसे नेतागण अतीत के आइने में जाकर पूर्व के नेताओं के द्वारा स्थापित राजनीतिक शुचिता, नैतिकता और सकारात्मकता के मानदंड का दर्शन करें और उससे सीख कर अमल करें.
ऋषिकेश दुबे, बरिगावां, पलामू