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इसरो से प्रेरणा लें

इसरो देश की संचार और सैन्य क्षमता बढ़ाने के साथ अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है. वैसे तो देश के सभी वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों को इसरो से प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन सर्वाधिक अपेक्षा उन संगठनों से है, जिन पर सैन्य और असैन्य उपकरण बनाने की जिम्मेदारी है. यह तकनीक का युग है और […]

इसरो देश की संचार और सैन्य क्षमता बढ़ाने के साथ अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है. वैसे तो देश के सभी वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों को इसरो से प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन सर्वाधिक अपेक्षा उन संगठनों से है, जिन पर सैन्य और असैन्य उपकरण बनाने की जिम्मेदारी है. यह तकनीक का युग है और इसमें भारतीय संस्थानों को वैसी ही छाप छोड़नी होगी, जैसी इसरो छोड़ रहा है.
मिसाइल निर्माण के मामले में डीआरडीओ की सफलताओं पर संतोष जताया जा सकता है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि अन्य संगठन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे. हल्का लड़ाकू विमान तेजस वायुसेना का हिस्सा बन गया, लेकिन इसके निर्माण में जरूरत से ज्यादा समय लगा. भारत को राइफल जैसे हथियार भी आयात करने पड़ते हैं. इसी तरह कई साधारण सैन्य साजो-सामान के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह, भागलपुर.

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