देश के हिंदू संगठन कहते है कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा. वहीं, मुस्लिम संगठन मस्जिद के पक्ष में हैं. दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उसे इस मसले को सुलझाने की कोई जल्दबाजी नहीं है.
जाहिर इस हालत में दोनों समुदायों के बीच केवल तनाव ही गहरा सकता है, कोई हल नहीं निकल सकता. इसका हल तभी निकल सकता है, जब दोनों समुदाय अपनी जिद छोड़ कर राष्ट्रहित में सौहार्दपूर्ण माहौल पर राजी हों.
हमें यह समझना चाहिए कि रमजान में भी राम हैं और दीवाली में अली, तो फिर किस बात की लड़ाई? क्या हम यह नहीं सोच सकते कि विवादित स्थल पर कोई बड़ा अस्पताल और स्कूल खुले, जहां सब का इलाज हो और सब को शिक्षा मिले? क्या हम इस काम में अपने भगवान को नहीं देख सकते?
शैलेश कुमार,मधुपुर