यह बात अलग है कि नीरव मोदी और विजय माल्या हजारों करोड़ की हेराफेरी के बावजूद सलाखों के पीछे नहीं हो पाये हैं. समझ में नहीं आता कि डिफॉल्ट होने के बावजूद कैसे उनको लोन मिल जाता है.
अगर उसकी तुलना में आम लोगों की बात करें, तो डिफॉल्ट होने पर बिलकुल भी लोन नहीं मिलने वाले. बैंक हर दो-तीन महीने में ऐसे लोगों की सूची निकालती है. वैसे सभी बैंक का अपना अपना नियम होता है पर ज्यादातर बैंक आम लोगों के ऊपर थोड़ी भी मेहरबान नहीं होते जिस तरह बड़े व्यापारी के प्रति होते हैं.
किसान क्रेडिट लोन पर भी किसानों को प्रेशर करते रहते हैं. कहानी में ट्विस्ट तो तब आता है जब आरबीआइ एनपीए खातों को निपटने के लिए आदेश देती है, तो सबसे पहले आम लोगों से पैसे वसूला जाता है फिर बड़े व्यापारी का नंबर आता है.
पालुराम हेंब्रम, सालगझारी