पिछले साल अक्तूबर में चीन में जब कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रपति जिनपिंग के उत्तराधिकारी का कोई घोषणा नहीं हुआ था. तभी यह शक होने लगा था कि दाल में कुछ काला है.
अब उस काले दाल के बारे में आधिकारिक घोषणा कर दी गयी है कि जब तक जिनपिंग जिंदा हैं, तब तक वे राष्ट्रपति बने रहेंगे. मुझे लगता है यह साहब लाल क्रांति के संस्थापक माओत्से तुंग को भी मात दे देंगे. इतना बड़ी आबादी में क्या वहां मानवाधिकार की बात नहीं करता होगा? इस तरह से शासन में साम्यवादी अधिनायकवाद चल रहा है और पूरा देश खामोश है.
इसका मतलब है कि लोग उस शासन पद्धति से खुश होंगे? सबसे बड़ी बात वहां सेना में या सरकार में कोई बगावत भी नहीं होता. हर राजनीतिज्ञ की इच्छा शीर्ष पर पहुंचने की होती ही है. अजीब देश है चीन, अर्थशास्त्र में पूंजीवाद अपनाता है और राजनीति में एकतंत्र की पूजा की जाती है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी