बिहार चुनाव से ठीक पहले आरएसएस मुखिया मोहन भागवत ने आरक्षण नीति पर पुनरावलोकन की वकालत की थी. अब गुजरात चुनाव के दूसरे चरण के पहले भाजपा नेता डॉ सीपी ठाकुर ने आरक्षण को समाप्त करने की मांग की है. उस समय भी और आज भी भाजपा के लोग इस बयान को व्यक्तिगत कहकर किनारा कर रहे हैं. वे क्यों ऐसा कर रहे हैं?
जबकि उनकी विचारधारा में आरक्षण का कोई स्थान नहीं है. शायद चुनावी मजबूरियों से वे खुद को इन बयानों से दूर रखने को मजबूर हो रहे हैं. आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करना शायद अब कभी मुमकिन नहीं होगा. हमारे समाज में जब तक जाति प्रथा एवं ऊंच-नीच में भेदभाव कायम है, तब तक कोई भी सरकार आरक्षण को खत्म नहीं कर सकती. खत्म करना ही है, तो जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करना होगा.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से