दुकान भी ऐसी-वैसी नहीं. यहां टाइम ही बिक्री होती है, क्योंकि खरीदारों की लाइन इसका इंतजार कर रही होती है. उनके लिए पैसा पहली प्राथमिकता हो गयी है. अब ऐसे बाजार में खड़े होकर गुरु-शिष्य परंपरा की बात करना बेमानी होगी.
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शिक्षक दिवस के मायने
समाज निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं शिक्षक, लेकिन आजकल इनका ध्यान पैसे पर अधिक है. उनका शिक्षणकार्य केवल व केवल धन उपार्जन का साधन मात्र है. यहां तक कि शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रों द्वारा दिये गये उपहार उनके प्रिय व अप्रिय छात्रों का श्रेणीकरण करते हैं. स्कूल-कालेजों में वे पूरी मेहनत […]
समाज निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं शिक्षक, लेकिन आजकल इनका ध्यान पैसे पर अधिक है. उनका शिक्षणकार्य केवल व केवल धन उपार्जन का साधन मात्र है. यहां तक कि शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रों द्वारा दिये गये उपहार उनके प्रिय व अप्रिय छात्रों का श्रेणीकरण करते हैं. स्कूल-कालेजों में वे पूरी मेहनत व लगन से नहीं पढ़ाते, क्योंकि घर पर ट्यूशन की दुकान चलानी होती है.
एसएस पांडेय, हजारीबाग
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