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बेगम खालिदा जिया के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज

ढाका : पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों के खिलाफ कथित ‘दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियां’ करने पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री एवं विपक्ष की नेता बेगम खालिदा जिया के विरुद्ध आज देशद्रोह का एक मामला दर्ज किया गया जबकि एक अदालत ने उन्हें पेशी के लिए तलब किया. एक अदालती अधिकारी ने बताया, ‘उनकी […]

ढाका : पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों के खिलाफ कथित ‘दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियां’ करने पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री एवं विपक्ष की नेता बेगम खालिदा जिया के विरुद्ध आज देशद्रोह का एक मामला दर्ज किया गया जबकि एक अदालत ने उन्हें पेशी के लिए तलब किया. एक अदालती अधिकारी ने बताया, ‘उनकी गिरफ्तारी की अपील करते हुए आज सुबह मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ढाका) की अदालत में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.’ अदालत ने इस मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद खालिदा को खुद पेश होने के लिए तलब किया.

एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘अदालत ने उन्हें (खालिदा को) सम्मन भेजा. उन्हें 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों की संख्या पर उनकी दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों पर देशद्रोह के आरोप का सामना करने के लिए 3 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया है.’ उल्लेखनीय है कि पिछले साल 21 दिसंबर को एक परिचर्चा में 70 साल की खालिदा ने 1971 के मुक्ति संग्राम में मृतकों की संख्या पर ‘शंका जतायी थी.’

बांग्लादेश नेशनल पार्टी की प्रमुख ने कहा था, ‘इसपर विवाद है कि मुक्ति संग्राम में कितने लोग शहीद हुए थे. विवादों पर ढेर सारी किताबें और दस्तावेज भी हैं.’ खालिदा की बीएनपी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की अहम सहयोगी पार्टी है. जमात ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था. सत्तारुढ अवामी लीग, 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोग और उस संग्राम में शहीद हुए लोगों के परिवार ने जिया की टिप्पणी पर तीखी टिप्पणी की थी. कुछ ने उन्हें ‘पाकिस्तान की एजेंट’ तक कहा था.

कल ही गृहमंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कराने के लिए मंजूरी प्रदान की थी. आज उस पर कदम उठाया गया. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुमताज उद्दीन अहमद मेहदी ने 27 दिसंबर को आग्रह किया था कि बांग्लादेश की दंड संहिता की धारा 123(ए) के तहत खालिदा के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए. उस वक्त मजिस्ट्रेट ने पुलिस को आरोप की जांच करने का आदेश दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि वह देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए सरकार से इजाजत लें.

बांग्लादेश के कानून के तहत ऐसा करना अनिवार्य है. धारा 123 (ए) के तहत ‘राज्य (बांग्लादेश) के सृजन की निंदा करने और उसकी संप्रभुता खत्म करने की वकालत करने’ के लिए ‘कैद बामुशक्कत’ का प्रावधान है जो ‘10 साल तक के लिए दी जा सकती है और जुर्माना भी’ लगाया जा सकता है. बीएनपी के नेता एवं वरिष्ठ वकील खंदकर महबूब हुसैन ने कल दावा किया था कि ‘खालिदा के बयान में देशद्रोह का कोई तत्व नहीं है.’ आधिकारिक आंकडों के अनुसार नौ महीने चले मुक्ति संग्राम में तकरीबन 30 लाख लोगों की मौत हुई थी. ताजा मुकदमा खालिदा की कानूनी दिक्कतें बढा सकता है क्योंकि वह पहले ही से भ्रष्टाचार के दो मामलों का सामना कर रही हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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