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कार्यक्रम . कवयित्री ग्रेस ने अपनी रचनाओं से मोहा मन …तो एक और जनी शिकार की है जरूरत

रांची : शनिवार की शाम रिमझिम बारिश के बीच प्रभात खबर सभागार में नारी के संघर्ष और झारखंड के दर्द को लोगों ने जिया. मौका था प्रभात खबर के मासिक आयोजन काव्य पूर्णिमा का. इस बार की अतिथि कवयित्री सह आकाशवाणी की सेवानिवृत्त अधिकारी ग्रेस कुजूर थीं. कविता के माध्यम से उन्होंने झारखंड के सौंदर्य […]

रांची : शनिवार की शाम रिमझिम बारिश के बीच प्रभात खबर सभागार में नारी के संघर्ष और झारखंड के दर्द को लोगों ने जिया. मौका था प्रभात खबर के मासिक आयोजन काव्य पूर्णिमा का. इस बार की अतिथि कवयित्री सह आकाशवाणी की सेवानिवृत्त अधिकारी ग्रेस कुजूर थीं. कविता के माध्यम से उन्होंने झारखंड के सौंदर्य से लोगों को परिचित कराया. यह भी बताया कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो एक और जनी शिकार की जरूरत पड़ सकती है.

नशा से सावधान करते हुए कहा कि नशे से विकास नहीं विनाश हुअा है. लगभग घंटे तक चली काव्य पूर्णिमा में ग्रेस कुजूर की हर कविता पर उपस्थित लोगों ने वाह-वाह किया. उन्होंने राजस्थान में सूखे के बाद महिलाओं द्वारा मीलों दूर से पानी लाने की समस्या पर कविता सुनायी. कहा …कितना पानी पीओगे सूरज, कुछ भी पीना पर उसके घड़े का पानी नहीं पीना. उन्होंने कहा कि बापू के तीन नहीं, चार बंदर थे. चौथा बंदर गांधी जी को अफ्रीका में ट्रेन से बाहर फेंकते समय मिला था. इसके अलावा सरहद पर फौजियों की सुरक्षा पर सुनाया कि याद आता हैं वो दिन, जब पहली बार तुम सरके थे. बिचौलियाें द्वारा राज्य के आदिवासियों को छले जाने को कविता के माध्यम से बताया. कहा कि मां मेरा बचपन तुम्हारे पीठ पर बीता, जब तुम घास की भारी बोझ रख शहर जाया करती थी. कार्यक्रम का संचालन पत्रकार विनयभूषण ने किया.
कविता का संबंध सीधे हृदय से : आशुतोष चतुर्वेदी
मासिक काव्य पूर्णिमा कार्यक्रम में प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि कविता का सीधा संबंध ह्रदय से होता है. संचार क्रांति से पढ़ने की प्रवृत्ति कम हुई है. हालांकि ह्वाट्स एप के माध्यम से छोटी रचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है. इनमें कई छोटी कविताएं प्रभावकारी भी होती हैं. श्री चतुर्वेदी ने मौके पर नागार्जुन की रचनाएं सुनायी.

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