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Friday, March 29, 2024

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किस सफेदपोश ने रमेश सिंह मुंडा की हत्या के लिए दी 1.25 करोड़ रुपये की सुपारी!

रांची : झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, लगातार नये खुलासे हो रहे हैं. कुंदन पाहन के पूर्व सहयोगी जोनल कमांडर राममोहन मुंडा ने पिछले साल अपने बयान में कहा था कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या में सफेदपोश का हाथ था. एनआइए की जांच में […]

रांची : झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, लगातार नये खुलासे हो रहे हैं. कुंदन पाहन के पूर्व सहयोगी जोनल कमांडर राममोहन मुंडा ने पिछले साल अपने बयान में कहा था कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या में सफेदपोश का हाथ था. एनआइए की जांच में भी खुलासा हुआ है कि किसी सफेदपोश नेता ने मुंडा की हत्या के लिए 1.25 करोड़ रुपये की सुपारी दी थी.

एनआइए सूत्रों की मानें, तो रमेश सिंह मुंडा के बढ़ते राजनीतिक कद से तमाड़ के राजनीतिक नेता घबरा गये थे. दरअसल, वह नेता तमाड़ से चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन रमेश सिंह मुंडा के रहते उसके चुनाव जीतने की कोई गुंजाइश नहीं थी. इसलिए उसने मुंडा को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

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उस नेता ने नक्सली कमांडर कुंदन पान से संपर्क किया.बतायाजाता है कि कुंदन ने इस कामकेलिए 2 करोड़ रुपये मांगे, लेकिन सौदा 1.25 करोड़ रुपये में तय हुआ. मुंडा की हत्या में मदद के लिए उनके बॉडीगार्ड शेषनाथ सिंह को भी खरीद लिया. शेषनाथ से कहा गया कि वह साये की तरह मुंडा के साथ रहे और उनकी गतिविधियों की पल-पल की जानकारी दे.

शेषनाथ ने अपनेपेशे से गद्दारीकी और नक्सलियों और उस सफेदपोश का वफादार बन बैठा. रमेश सिंह मुंडा की गतिविधियों की हर जानकारी नक्सलियों और उस सफेदपोश तक पहुंचायी, जिसके आधार पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुंडा की हत्या कर दी गयी.

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश मार्च, 2008 में ही रची गयी थी. साजिश रचने वाला राजनेता चाहता था कि वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के पहले ही विधायक को रास्ते से हटा दिया जाय,ताकि वह चुनाव लड़ सके. आखिरकार शेषनाथ ने खबर दी कि 9 जुलाई को विधायक एसएस हाई स्कूल बुंडू में एक कार्यक्रम में भाग लेंगे. कार्यक्रम के दौरान उनकी सुरक्षा में सिर्फ तीन लोग तैनात रहेंगे.

नक्सलियोंनेपूरीयोजना तैयार कर ली. रमेश सिंह मुंडा सवा बारह बजे स्कूल पहुंचे. करीब पौने दो बजे बच्चों और शिक्षकों को पुरस्कार बांटने के बाद वह स्कूल में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे. तभी जीप में भर कर नक्सली आये और सभागार के बाहर खड़े उनके दो अंगरक्षकों (शिवनाथ मिंज और खुर्शीद आलम) को मार डाला. शेषनाथ सिंह ने रमेश सिंह मुंडा की सुरक्षा करने की बजाय अपनी जान बचायी और वहां से भाग खड़ा हुआ.

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इसके बाद नक्सली अंदर घुसे और विधायक पर अंधाधुंध फायरिंग करउन्हें मौत के घाट उतार दिया. पहली गोली उनके सिर पर लगी. मुंडा गिर पड़े. विधायक खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे, तभी एकनक्सली उनके नजदीक पहुंचा और उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया.

ज्ञात हो कि रांची पुलिस ने कुंदन पाहन के पूर्व सहयोगी जोनल कमांडर राममोहन मुंडा को 13 अप्रैल, 2016 को जेल भेजा था. राममोहन ने कहा था कि मुंडा की हत्या में सफेदपोश का हाथ था. राममोहन ने पुलिस को तब बताया था कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या के दिन भाड़े कीजीप से वह, कुंदन पाहन, विशाल, संतोष, पवन, विनोद, गुरूवा मुंडा आये थे. एके-56 और इंसास से फायरिंग कर मुंडा को मौत के घाट उतार दिया गया था.

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