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एशियन गेम्स में झारखंड का नाम रोशन करनेवाली मधुमिता पहुंची प्रभात खबर, कहा- मैं आम से हो गयी खास

रांची : एशियन गेम्स के तीरंदाजी के कंपाउंड राउंड में रजत पदक जीतने वाली मधुमिता कुमारी को सोमवार को प्रभात खबर सभागार में सम्मानित किया गया. मौके पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, प्रबंध निदेशक केके गोयनका, कार्यकारी निदेशकआरके दत्ता, वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा, मधुमिता के कोच प्रकाश राम, सहायक कोच शिशिर […]

रांची : एशियन गेम्स के तीरंदाजी के कंपाउंड राउंड में रजत पदक जीतने वाली मधुमिता कुमारी को सोमवार को प्रभात खबर सभागार में सम्मानित किया गया. मौके पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, प्रबंध निदेशक केके गोयनका, कार्यकारी निदेशकआरके दत्ता, वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा, मधुमिता के कोच प्रकाश राम, सहायक कोच शिशिर महतो सहित अन्य लोग मौजूद थे.
मधुमिता ने पूरे देश का मान बढ़ाया : प्रभात खबर के प्रधान संपादक ने सिल्वर गर्ल मधुमिता का स्वागत करते हुए कहा कि मधुमिता ने पूरे देश का मान बढ़ावा है और प्रभात खबर परिवार की तरफ से मैं इन्हें बधाई देता हूं.
प्रबंध निदेशक केके गोयनका ने कहा कि अभी तो ये मधुमिता की शुरुआत है अभी तो इसे और भी आगे जाना है. वहीं कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता ने कहा कि मधुमिता के रजत पदक जीतने से पूरे झारखंड के लोगों को सम्मान मिला है. अब ये सभी खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल बन गयी हैं.
अब हम भी दुनिया में किसी से पीछे नहीं: मधुमिता कुमारी के कोच प्रकाश राम ने कहा कि इस खिलाड़ी को यहां तक पहुंचने में सभी का योगदान रहा. अब मधुमिता को लोग पहचानने लगे हैं और ये मेरे लिए गर्व की बात है.
एशियन गेम्स में मधुमिता को यू ही रजत पदक नहीं मिला इसके पीछे दस साल की मेहनत है. झारखंड में तीरंदाजी अकादमी है लेकिन यहां खिलाड़ियों को केवल चार साल का समय मिलता है इसके बाद जब खिलाड़ियों के परफारमेंस की बात आती है तो वो बाहर चले जाते हैं. अब साउथ कोरिया भी जान गया है कि भारत ही हमारा प्रतिद्वंदी है.
देश के लिए पदक जीतना गर्व की बात
मधुमिता ने कहा कि पदक जीतकर वापस लौटने पर जो मेरा स्वागत किया गया वो मेरे लिए सबसे खास पल था. अब मैं आम से खास बन गयी हूं और यहां तक पहुंचाने में मेरे कोच प्रकाश व शिशिर सर ने सबसे बड़ा योगदान दिया. एक-एक बारीकी सिखायी और मुझे हर समय प्रेरित करते रहे.
स्वर्ण से हम थोड़ा सा चूक गये लेकिन देश के लिए पदक जीतना ही गर्व की बात है. तीरंदाजी में हम दुनिया में किसी से कम नहीं है. मधुमिता ने इस मौके पर तीरंदाजी के कंपाउंड राउंड के बारे में भी सबको बताया. उन्होंने बताया कि इस इवेंट में तीर चलाना कितना टफ होता है, थोड़ी सी लापरवाही हुई तो चोट लग सकती है. अब मेरा लक्ष्य अगले एशियन गेम्स जो कि चाइना में होने वाले हैं उसमें स्वर्ण पदक जीता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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