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यूपी में भुखमरी की शिकार मां-बेटी ने जहर खाकर दे दी जान, राशनकार्ड कर दिया गया था कैंसिल

बरेली : भुखमरी और प्रशासनिक लापरवाही बीमारू राज्यों में शुमार झारखंड के गरीब और भूख के शिकार लोगों ही की जान नहीं ले रही है, बल्कि संपन्न राज्यों में भी पसरी हुई गरीबी और भुखमरी से लोगों की जानें जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के विशारतगंज क्षेत्र में कथित रूप से गरीबी […]

बरेली : भुखमरी और प्रशासनिक लापरवाही बीमारू राज्यों में शुमार झारखंड के गरीब और भूख के शिकार लोगों ही की जान नहीं ले रही है, बल्कि संपन्न राज्यों में भी पसरी हुई गरीबी और भुखमरी से लोगों की जानें जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के विशारतगंज क्षेत्र में कथित रूप से गरीबी और फ़ाक़ाकशी से जूझ रही एक महिला ने अपनी बेटी को जहर खिलाने के बाद खुद भी खा लिया. इस वारदात में दोनों की मौत हो गयी. पुलिस सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया कि आंवला तहसील क्षेत्र के अतरछेड़ी गांव में राजवती (60) अपनी बेटी रानी (25) के साथ रहती थीं.

इसे भी पढ़ें : झारखंड में एक और मौत पर बवाल, गांव के लोग बोले ‘भूख से मौत’, प्रशासन बोला ठंड से

पति और बेटे का गांव छोड़ने के बाद असहाय हो गयी थी राजवती

सूत्रों का यह भी कहना है कि राजवती के पति उदयभान और बेटा गांव छोड़कर बाहर चले गये थे. इस वजह से राजवती आर्थिक तंगी से गुजर रही थी. खबर यह भी है कि उनका गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों को मिलने वाला राशनकार्ड बना हुआ था, जिसे निरस्त कर दिया गया था.

बेटी को जहर दे खुद भी खा ली जहर

राजवती की दूसरी बेटी रेखा का कहना है कि राजवती ने गुरुवार को पहले अपने बेटी को जहर दिया और बाद में खुद भी खा लिया. इस वारदात में राजवती की मौके पर ही मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि रानी को गंभीर हालत में बरेली के अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गयी.

ग्रामीणों ने की कुछ दिन तक मदद

सूत्रों ने बताया कि रेखा ने पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि आर्थिक तंगी में उसकी मां ने घातक कदम उठाया है. ग्रामीण उसकी मां की मदद करते थे, लेकिन इन दिनों उनके सामने खाने के लाले पड़ गये थे.

मददगार वकील का बयान

गांव के निवासी और पेशे से वकील अतुल कुमार सिंह ने बताया कि उनका गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों को मिलने वाला राशनकार्ड बना हुआ था, जिसे निरस्त कर दिया गया था. इसके लिए उन्होंने स्वयं ऑनलाइन आवेदन करा दिया था. अभी उन्हें सरकारी राशन आदि नहीं मिल पा रहा था.

जिलाधिकारी की दलील

इस बीच, बरेली के जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि महिला और उसकी बेटी की मौत भूख से नहीं हुई है. आधार कार्ड ना होने के कारण उनका राशन कार्ड निरस्त हो गया था, मगर उसे नियमित रूप से राशन मिल रहा था. इस सवाल पर कि जब राशन कार्ड निरस्त हो गया था, तो उन्हें राशन कहां से मिल रहा था, जिलाधिकारी ने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया.

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