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#INDvsAUS : ख्वाजा का शतक, ऑस्ट्रेलिया ने 10 साल बाद भारत में जीती शृंखला

नयी दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया ने उस्मान ख्वाजा के शृंखला में दूसरे शतक, लेग स्पिनर एडम जंपा की शानदार गेंदबाजी तथा भारत की प्रयोगधर्मिता का पूरा फायदा उठाकर पांचवें और निर्णायक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में बुधवार को यहां 35 रन से जीत दर्ज करके दस साल बाद भारतीय सरजमीं पर वनडे शृंखला अपने नाम की. […]

नयी दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया ने उस्मान ख्वाजा के शृंखला में दूसरे शतक, लेग स्पिनर एडम जंपा की शानदार गेंदबाजी तथा भारत की प्रयोगधर्मिता का पूरा फायदा उठाकर पांचवें और निर्णायक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में बुधवार को यहां 35 रन से जीत दर्ज करके दस साल बाद भारतीय सरजमीं पर वनडे शृंखला अपने नाम की.

फिरोजशाह कोटला में केवल दो बार (1982 और 1996) ही कोई टीम 250 से अधिक का लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल कर पायी. ऑस्ट्रेलिया का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला सही रहा और केवल चार विशेषज्ञ बल्लेबाजों के साथ उतरे भारत के लिये 273 रन का लक्ष्य पहाड़ जैसा बन गया.

शुरू में रोहित शर्मा (89 गेंदों पर 56 रन) की अर्धशतकीय पारी तथा बाद में केदार जाधव (57 गेंदों पर 44 रन) और भुवनेश्वर कुमार (54 गेंदों पर 46 रन) ने सातवें विकेट के लिये 91 रन जोड़कर उम्मीद जगायी, लेकिन भारत आखिर में 50 ओवर में 237 रन पर आउट हो गया. जंपा ने 46 रन देकर तीन जबकि तेज गेंदबाज पैट कमिन्स, जॉय रिचर्डसन और मार्कस स्टोइनिस ने दो-दो विकेट लिये.

इससे पहले ख्वाजा ने 106 गेंदों पर दस चौकों और दो छक्कों की मदद से 100 रन बनाये. उन्होंने कप्तान आरोन फिंच (43 गेंदों पर 27 रन) के साथ पहले विकेट के लिये 76 और पीटर हैंड्सकांब (60 गेंदों पर 52 रन) के साथ दूसरे विकेट के लिये 99 रन की दो उपयोगी साझेदारियां की.

भारत ने अच्छी वापसी की लेकिन पुछल्ले बल्लेबाजों ने अंतिम चार ओवर में 42 रन जुटाये जिससे ऑस्ट्रेलिया नौ विकेट पर 272 रन के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंच गया. ऑस्ट्रेलिया ने इससे पहले 2009 में भारतीय सरजमीं पर छह मैचों की शृंखला 4-2 से जीती थी. इस बार उसने पहले दो मैच गंवाने के बाद लगातार तीन मैच जीतकर शृंखला 3-2 से अपने नाम की.

यह वनडे में पांचवां अवसर है जबकि किसी टीम ने पहले दो मैच हारने के बाद शृंखला जीती. ऑस्ट्रेलिया से पहले दक्षिण अफ्रीका (दो बार), बांग्लादेश और पाकिस्तान ने यह उपलब्धि हासिल की थी. भारत ने दूसरी बार पहले दो मैच जीतने के बाद शृंखला गंवायी. इससे पहले 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ वह शुरुआती बढ़त का फायदा नहीं उठा पाया था.

शिखर धवन (12) मोहाली की अपनी फार्म को बरकरार नहीं रख पाये. दिल्ली का एक अन्य स्टार कोहली आक्रामक मूड में लग रहे थे. मनपसंद शाट नहीं लगने पर वह एक दो बार झल्लाये भी. ऐसे में मार्कस स्टोइनिस की अतिरिक्त उछाल वाली अपेक्षाकृत धीमी गेंद पर कट करने के प्रयास में वह विकेट के पीछे कैच दे बैठे. कोटला को सांप सूंघ गया.

दिल्ली का एक बल्लेबाज पवेलियन लौट रहा था तथा एक और बल्लेबाज अपने घरेलू मैदान पर उतर रहा था. विश्व कप 2015 के बाद नंबर चार पर कई प्रयोग करने वाली भारतीय टीम ने ऋषभ पंत (16) को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन वह पहली परीक्षा में नाकाम रहे. जंपा पर छक्का जड़कर उत्साह जगाने वाले इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने ऑफ स्पिनर नाथन लियोन की बाहर की तरफ टर्न होती गेंद पर स्लिप में कैच थमा दिया.

विजय शंकर (16) उतावलापन महंगा पड़ा तो रोहित दो जीवनदान का फायदा नहीं उठा पाये. अपना 41वां अर्धशतक पूरा करने वाले यह बल्लेबाज अति उत्साही शाट लगाने के प्रयास में स्टंप आउट हो गया. जंपा ने इसी ओवर में रविंद्र जडेजा (शून्य) को भी पवेलियन भेजा. भारत की हार जब तय लग रही थी तब जाधव ने दर्शकों में भरोसा जताया जबकि भुवनेश्वर ने अपने बल्लेबाजी कौशल का अच्छा नमूना पेश किया. इन दोनों ने दिखाया कि दबाव में सतर्कता और आक्रामकता के साथ बल्लेबाजी कैसे की जाती है.

जाधव ने मैक्सवेल पर छक्का लगाया तो भुवनेश्वर ने जंपा और जॉय रिचर्डसन की गेंदें छह रन के लिये भेजकर अपनी सीटों से उठ चुके दर्शकों को बैठने के लिये मजबूर किया, लेकिन इन दोनों के लगातार गेंदों पर आउट होने से रही सही उम्मीद समाप्त हो गयी. इससे पहले भारत ने पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरने का फैसला किया.

जसप्रीत बुमराह (दस ओवर में 39 रन, कोई विकेट नहीं) और जडेजा (दस ओवर में 45 रन देकर दो विकेट) ने अधिक प्रभावित किया. भुवनेश्वर (दस ओवर में 48 रन देकर तीन विकेट) सबसे सफल गेंदबाज रहे, मोहम्मद शमी (नौ ओवर में 57 रन देकर दो विकेट) ने टुकड़ों में अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन कुलदीप यादव (दस ओवर में 74 रन एक विकेट) ने निराश किया.

जडेजा ने अपने पहले ओवर में फिंच को आउट करके भारत को पहली सफलता दिलायी, लेकिन दूसरे स्पिनर कुलदीप को बल्लेबाजों ने आसानी से खेला. ऑस्ट्रेलियाई पारी के चारों छक्के इस चाइनामैन स्पिनर पर लगे. कुलदीप की एक गुगली ने जरूर हैंड्सकोंब को छका दिया था, लेकिन तब विकेटकीपर पंत भी गच्चा खा गये और गेंद चार रन के लिये चली गयी.

ऑस्ट्रेलिया 28 ओवर के बाद एक विकेट पर 157 रन बनाकर बड़े स्कोर की तरफ बढ़ रहा था. ऐसे में अपने पहले चार ओवर में केवल आठ रन देने वाले बुमराह ने दबाव बनाया तो भुवनेश्वर और जडेजा ने उसे भुनाया. ख्वाजा ने 102 गेंदों पर शतक पूरा किया, लेकिन इसी स्कोर पर भुवनेश्वर की गेंद पर कवर में कैच दे बैठे.

कोहली ने ही अगले ओवर में ग्लेन मैक्सवेल (एक) का एक्स्ट्रा कवर पर कैच लेकर दर्शकों में जोश भरा. शमी अपना तीसरा स्पैल करने के लिये आये. उनकी तेजी से उठती गेंद को हैंडसकांब नहीं समझ पाये जो उनके बल्ले को चूमकर विकेट के पीछे गयी और इस बार पंत ने कोई गलती नहीं की.

हैंड्सकोंब ने इससे पहले वनडे में अपना चौथा अर्धशतक पूरा किया. मोहाली के नायक एश्टन टर्नर (20), स्टोइनिस (20) और कैरी (तीन) ने तेजी से रन बनाने के प्रयास में विकेट गंवाये. जॉय रिचर्डसन (29) और पैट कमिन्स (15) ने 48वें ओवर में बुमराह पर 19 रन बटोरकर उनका गेंदबाजी विश्लेषण बिगाड़ा और स्कोर 250 रन के पार पहुंचाया.

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