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धौनी को कितने इम्तिहान देने होंगे

आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in पिछले कुछ समय में किसी क्रिकेट खिलाड़ी पर इतने सवाल नहीं उठाये गये हैं, जितने महेंद्र सिंह धौनी पर. पहले भी यह बात सामने आयी है कि धौनी के खिलाफ, खास कर सोशल मीडिया पर, एक सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है. इसमें यह बताने की कोशिश […]

आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
पिछले कुछ समय में किसी क्रिकेट खिलाड़ी पर इतने सवाल नहीं उठाये गये हैं, जितने महेंद्र सिंह धौनी पर. पहले भी यह बात सामने आयी है कि धौनी के खिलाफ, खास कर सोशल मीडिया पर, एक सुनियोजित अभियान चलाया जा रहा है. इसमें यह बताने की कोशिश की जा रही है कि अब वह चुक गये हैं और टीम पर बोझ बन गये हैं.
उनके मुकाबले अन्य खिलाड़ियों को खड़ा करने का प्रयास भी किया गया है. साथ ही यह संदेश देने की भी कोशिश की गयी है कि उन्हें अब विदा करने का वक्त आ गया है. धौनी के खिलाफ इस तरह के अभियान समय-समय पर चलते रहे हैं, लेकिन हर बार धौनी ने अपनी बल्लेबाजी और विकिटकीपिंग, दोनों से अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है. वह एक बार फिर हर कसौटी पर खरे उतरे हैं.
धौनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार पारी खेल कर न केवल भारतीय टीम को संकट से बाहर निकाला, बल्कि जीत भी दिलायी है. वनडे सीरीज के तीनों मैचों में लगातार तीन अर्धशतक लगाने के कारण उन्हें सीरीज का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी करार दिया गया है. धौनी ने सीरीज के आखिरी और निर्णायक मैच में नाबाद 87 रन बनाये और टीम को जीत दिलवायी. सीरीज में यह उनका लगातार तीसरा अर्धशतक था.
साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एक हजार रन का रिकॉर्ड भी बनाया. धौनी से पहले ऑस्ट्रेलिया में वनडे मैचों में एक हजार रन बनाने की उपलब्धि सिर्फ तीन भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और रोहित शर्मा हासिल कर पाये थे. और तो और, 10 वर्ष पहले जिस औसत से धौनी रन बना रहे थे, वह अब भी लगभग उसी औसत से रन बना रहे हैं.
यह प्रसन्नता की बात है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली धौनी के पक्ष में खुल कर सामने आये हैं. विराट ने कहा कि लोग बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन हमें पता है कि भारतीय क्रिकेट के प्रति धौनी से ज्यादा समर्पित कोई खिलाड़ी नहीं है. लोगों को उनके प्रति सदाशयता दिखानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है.
यह बात पहले भी सामने आयी है और आपने यदि गौर किया हो कि मैदान में आधी कप्तानी धौनी कर रहे होते हैं. वह विकेट के पीछे से गेंदबाजों को कैसी और कहां गेंद करें, इसकी लगातार हिदायत देते रहते हैं. स्पिनर के वक्त तो उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है.
वह स्पिनरों को लगातार सलाह देते नजर आते हैं. स्टंप में लगे माइक से उनकी बातें साफ सुनाई देती हैं. ऐसा नहीं है कि धौनी पहली बार स्पिनरों की मदद कर रहे हों. हालांकि सारा श्रेय गेंदबाजों को मिलता है, लेकिन हम धौनी के योगदान की अक्सर अनदेखी कर जाते हैं. यह अनुभव और विशेषता किसी अन्य विकेटकीपर में कहां मिलेगी? जब भी कोई रिव्यू लेने की बात आती है, कप्तान विराट कोहली उनके पास जाते हैं और धौनी का निर्णय अंतिम होता है.
यह सही है कि वह विकेट के पीछे रहते हैं और बेहतर स्थिति में होते हैं. दुनिया के सभी विकेटकीपर इसी स्थिति में होते हैं, लेकिन धौनी रिव्यू का सटीक आकलन करते हैं. यही वजह है कि भारतीय टीम के अधिकांश रिव्यू सफल होते हैं.
अंतिम मैच में एक दिलचस्प वाकया हुआ. आम तौर पर होता है कि टीम के खिलाड़ी जीतने के बाद स्टंप उखाड़ कर अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन जब से एलइडी स्टंप्स का उपयोग शुरू हुआ है, तब से खिलाड़ी कम ही स्टंप्स ले जाते हैं, लेकिन 87 रन की नाबाद पारी खेल कर और सीरीज 2-1 से जिताने के बाद धौनी गेंद उठा कर ले गये.
धौनी बॉल लेकर पवेलियन की ओर लौटे और उन्होंने टीम के बैटिंग कोच संजय बांगर के हाथों में वह गेंद सौंप दी. बताते हैं कि उन्होंने कहा कि बॉल ले लो, नहीं तो लोग बोलेंगे कि रिटायरमेंट ले रहा है. अधिकांश लोगों के समझ में यह बात नहीं आयी कि धौनी ने ऐसा क्यों कहा और इससे उनका आशय क्या था? दरअसल, 2018 में फॉर्म के लिए संघर्ष कर रहे धौनी इंग्लैंड दौरे पर भी इसी तरह मैच के बाद गेंद उठा कर ले आये थे.
इसके बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया था कि वह संन्यास ले रहे हैं, लेकिन बाद में पता चला कि धौनी ने वह सफेद गेंद बॉलिंग कोच को दे दी थी. दरअसल, वह उन्हें गेंद की हालत दिखाना चाहते थे, लेकिन तब तक संन्यास की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था और टीम के कोच रवि शास्त्री को इस अफवाह का खंडन करना पड़ा था. एक साल के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर धौनी ने बांगर के साथ चुटकी लेते हुए उस घटना की याद ताजा कर दी. साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह फिलहाल संन्यास नहीं ले रहे हैं.
भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री भी धौनी के मुरीद हैं. उन्होंने कहा कि टीम में महेंद्र सिंह धौनी की जगह कोई और नहीं ले सकता है.
धौनी जैसे खिलाड़ी 30-40 साल में एक बार आते हैं. जब तक वह हैं, हर भारतीय को उनके खेल का आनंद उठाना चाहिए. जब वह चले जायेंगे, तो एक बड़ा खालीपन होगा, जिसे भरना मुश्किल होगा. शास्त्री ने कहा कि विकेट के पीछे उनका योगदान शानदार रहता है. वह टीम में पूजे जाते हैं.
यह पूरी टीम उनके द्वारा बनायी हुई है, क्योंकि वह पूरे 10 साल तक टीम के कप्तान रहे हैं. आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि धौनी जैसा कोई नहीं है. धौनी के नाम एक-से-एक रिकॉर्ड दर्ज हैं. वह दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में किसी टीम ने आइसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप और 2007 का आइसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20 और 2013 में आइसीसी चैंम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है.
उन्होंने 335 वनडे मैच खेले हैं. इसमें उनके नाम 10366 रन दर्ज हैं और उनका औसत 50.81 है. उनके नाम 10 वनडे सेंचुरी हैं और सौ से अधिक हाफ सेंचुरी हैं. वनडे मैचों में 100 स्टंपिंग करने वाले वह दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर हैं. उनकी तेजी और फुर्ती में कोई कमी नहीं है. पलक झपकते ही वह बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते हैं.
यह बात देश और विदेश के सभी के खिलाड़ियों को पता है कि अगर धौनी के हाथ में गेंद आ गयी और प्लेयर क्रीज से जरा-सा भी बाहर है, तो बल्लेबाज किसी भी सूरत में बच नहीं सकता है. धौनी को दुनिया का बेस्ट फिनिशिर, मिस्टर कूल और मिस्टर डिपेंडेंट यूं ही नहीं कहा जाता है. उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि उनको जो नाम दिये गये हैं, वे उनके एकदम उपयुक्त हैं. मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि 2019 में होने वाले क्रिकेट विश्व कप में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे.

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