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भारत-बांग्लादेश के बीच बाउंड्री कानून लागू होना जरूरी: राजनाथ

जलपाईगुड़ी. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच जल्द ही छीटमहल की अदला-बदली संभव होगी. राजनाथ मंगलवार को भारत-बांग्लादेश के बीच छीटमहल विनियम को लेकर हुए समझौते की जांच-पड़ताल करने तीनबीघा आये थे. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लैंड बाउंड्री कानून लागू होना जरूरी है. वर्ष 1974 में […]

जलपाईगुड़ी. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच जल्द ही छीटमहल की अदला-बदली संभव होगी. राजनाथ मंगलवार को भारत-बांग्लादेश के बीच छीटमहल विनियम को लेकर हुए समझौते की जांच-पड़ताल करने तीनबीघा आये थे. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लैंड बाउंड्री कानून लागू होना जरूरी है.

वर्ष 1974 में भारत-बांग्लादेश के बीच छीटमहल विनिमय को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजिबुर्रहमान के बीच जो समझौता हुआ था उसी के आधार पर छीटमहल विनिमय का काम आगे बढ़ाने के लिए तत्परता शुरू कर दी गयी है.

राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत-बांग्लादेश सीमा स्थित जिन इलाकों में कंटीले तार का घेरा नहीं है, वहां जमीन को लेकर जो समस्या है, उसे सुलझाने के लिए राज्य सरकार को पत्र भेजा गया है. आवश्यकता होने पर वह खुद मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात करेंगे. मंगलवार को राजनाथ सिंह बागडोगरा से हेलीकॉप्टर से तीनबीघा के फूलकाबाड़ी कैडर प्राइमरी स्कूल मैदान में उतरे. वहां से सड़क के रास्ते वह मेखलीगंज के धापड़ा इलाके में गये.

वहां बांग्लादेश के छीटमहल बालापुकुरी के कुछ प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. इसके बाद श्री सिंह तीनबीघा कॉरिडोर का निरीक्षण करने गये. वहां बीएसएफ जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. तीनबीघा गेट पार कर पाटग्राम की ओर जाते वक्त बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की ओर से भी उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. बांग्लादेशी नागरिकों ने गृह मंत्री को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया. गृहमंत्री 3.45 बजे हेलीकॉप्टर से बागडोगरा व वहां से कोलकाता के लिए रवाना हो गये.

क्या है छीटमहल
देश बंटवारे के बाद भारत व पूर्व पाकिस्तान (बांग्लादेश) युद्ध के बाद भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा निर्धारित करने के दौरान दो देशों में कई छीट महल बन गये थे. ऐसे छीटमहलों की संख्या करीब 150 है. 50 के दशक के बाद से छीटमहलवासी जनगणना व मताधिकार से वंचित है. छीटमहल के लोगों को न तो भारत की नागरिकता मिली और न ही बांग्लादेश की. ये लोग किसी भी देश के वाशिंदे नहीं हैं. दोनों देशों के बीच छीटमहल विनिमय की मांग करीब छह दशकों से चल रही है. वर्ष 1974 में इंदिरा-मुजिब समझौते के दौरान भी छीटमहल हस्तांतरण का आवेदन किया गया था. इसबार केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच छीटमहल विनिमय को लेकर तप्तरता शुरू हो गयी है. भारत में बांग्लादेश से घिरे सभी छीटमहल पश्चिम बंगाल की सीमा में हैं. राज्य सरकार ने भी केंद्र सरकार के छीटमहल हस्तांतरण मामले का स्वागत किया है. हाल ही में केंद्र सरकार ने बांग्लादेश के साथ छीटमहल हस्तांतरण समझौते के बाद भारत के लोकसभा व राज्य सभा में इस मुद्दे पर एक बिल तैयार कर लिया है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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