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असमंजस: ऋतब्रत और अधीर संग मुकुल की बैठक को लेकर सियासी हलचल बढ़ी, मुकुल राय को लेकर सस्पेंस बरकरार

कोलकाता: मुकुल राय का अगला कदम क्या होगा इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है. शनिवार को दिल्ली में ऋतब्रत और अधीर चौधरी के साथ मुकुल की बैठक को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं. जानकार इसे बंगाल के राजनीतिक गलियारे में बदलाव की नयी बयार के रूप में देख रहे हैं. हालांकि मुकुल राय को […]

कोलकाता: मुकुल राय का अगला कदम क्या होगा इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है. शनिवार को दिल्ली में ऋतब्रत और अधीर चौधरी के साथ मुकुल की बैठक को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं. जानकार इसे बंगाल के राजनीतिक गलियारे में बदलाव की नयी बयार के रूप में देख रहे हैं.
हालांकि मुकुल राय को लेकर लोगों की अभी भी आम राय नहीं बन पा रही है. मजेदार बात यह है कि लोग अनौपचारिक रूप से तो बहुत कुछ बोल रहे हैं, लेकिन औपचारिक रूप से जब बोलने की बारी आती है तो हर कोई कन्नी काट ले रहा है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता खुद पत्रकार से पूछते नजर आ रहे हैं कि मुकुल दा क्या कर रहे हैं? दिल्ली में किसी वरिष्ठ नेता के साथ उनकी मुलाकात हुई कि नहीं? यह बात दीगर है कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी मुकुल राय की अभी तक किसी वरिष्ठ भाजपा नेता के साथ बैठक नहीं हुई है, लेकिन माहौल जो बना है उसके अनुसार भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उनको साथ रखने का मानस बना चुका है, लेकिन वह अभी तक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उनको पार्टी के अंदर क्या स्थान दें. भाजपा में इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी मुकुल राय गुलाटी न मार दें. इसलिए भाजपा उनके अगले कदम का इंतजार कर रही है.
मुकुल राय दिल्ली में सांसद पद से इस्तीफा देने के लिए गये थे, लेकिन वो दिल्ली जा कर राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांग लिये. उनकी भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल से बैठक होने की बात थी, लेकिन खबर लिखे जाने तक रामलाल या फिर किसी वरिष्ठ नेता ने बैठक के लिए वक्त नहीं दिया.
इधर, कांग्रेसी खेमे का आलम यह है कि पिछले दिनों जब कांग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में अधीर चौधरी की मुलाकात के दौरान बात हुई थी तो राहुल ने अधीर को साफ कहा कि आपके खिलाफ मेरे पास बहुत शिकायतें आ रही हैं. इस पर अधीर ने सफाई देने की बजाय कहा था कि आप शिकायत करनेवालों में से ही किसी को अध्यक्ष बना दीजिए. इस पर राहुल गांधी बात को टाल गये और अधीर को अपना काम करते रहने की सलाह दी.
अधीर के साथ मुकुल की बैठक को लेकर कांग्रेसी भी सकते में हैं. वो लोग भी नये समीकरण की चर्चा कर रहे हैं. जबकि मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के बहिष्कृत सांसद ऋतब्रत को लेकर पश्चिम बंगाल के वामपंथियों में काफी चर्चा है. ममता बनर्जी की वजह से हाशिये पर गये वामपंथी मौजूदा नेतृत्व को लेकर दुखी चल रहे हैं. वो लोग भी मौजूदा दौर की राजनीति से तालमेल रखते हुए पार्टी को चलने की बात कह रहे हैं.
ऐसे लोगों का मानना है कि अगर मुकुल , ऋतब्रत और अधीर की तिगड़ी बनती है और भाजपा उसको समर्थन करती है तो ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर मिल सकती है.
उसकी एक वजह यह बतायी जा रही है कि यह तिगड़ी अपनी मूल पार्टी से अगर हटकर नयी पार्टी बनाती है तो तृणमूल कांग्रेस से नाराज लोग मुकुल राय के साथ जायेंगे.
वामपंथी का वह खेमा जो मौजूदा नेतृत्व से नाराज है वह ऋतब्रत के साथ जायेगा और कांग्रेस जो बंगाल में अपना वजूद खो रही है वह अधीर के साथ खुलकर आयेगी. इसके अलावा प्रदेश भाजपा के मौजूदा नेतृत्व से नाराज चल रहा एक बड़ा तबका जो मुकुल के भाजपा में आने की राह देख रहा है वह मुकुल के साथ जायेगा. जो अगले चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा.
फिलहाल सब कुछ भविष्य के गर्त में है मुकुल राय चूंकि राजनीत के माहिर खिलाड़ी है, वह अभी दिल्ली में है और अपना पत्ता नहीं खोल रहे है. जिसको लेकर खुद तृणमूल में ही संशय का माहौल है. हर किसी की निगाह इसी बात पर टिकी है कि मुकुल राय क्या करेंगे, जबकि मुकुल राय दिल्ली में है और सस्पेंस बरकरार है.
भाग मुकुल भाग का नारा देनेवाले सिद्धार्थ के बदले सुर
भाग ममता भाग, भाग मुकुल भाग का नारा देने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता व बंगाल के पूर्व प्रभारी और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह फिलहाल मुकुल राय के संबंध में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. फिलहाल मुकुल राय दिल्ली में हैं और चर्चा यह है कि वह भाजपा में शामिल होना चाह रहे हैं. इस बाबत प्रदेश भाजपा के नेता जो कल तक मुकुल राय की लानत-मलानत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे आज उनका भी सुर अब बदला बदला नजर आ रहा है. खुद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष मुकुल के बारे में कहते नजर आ रहे हैं कि वो नारदा या सारधा किसी मामले में पैसा लेते नहीं देखे गये. जब तक किसी के खिलाफ आरोप प्रमाणित नहीं हो जाता तब तक हम उसे कैसे दोषी कहें. दिलीप घोष के इस बयान को मुकुल राय के साथ भाजपा के बदलते रिश्ते और करीबी हो रही निकटता से जोड़ कर देख जा रहा है. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुकुल को साथ लेकर आगे चलना चाहता है. वह उनके हाथ में पार्टी की कमान देगा या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में मुकुल और भाजपा साथ साथ चलेंगे. इस बाबत जब प्रभात खबर की ओर से भाग ममता भाग, भाग मुकुल भाग का नारा देने वाले सिद्धार्थ नाथ सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने बड़ी सफाई से कहा कि हमने यह नारा उनको तृणमूल कांग्रेस से भागाने के लिए दिया था, आज वह भाग रहे हैं. हालांकि उनसे जब पूछा गया कि भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आपने मुकुल को हर बार कठघरे में खड़ा किया और आज माहौल ऐसे बन रहा कि मुकुल राय भाजपा में आना चाह रहे हैं. क्या भाजपा उनको स्वीकार करेगी? इस सवाल के जबाब में वह कहते हैं कि यह सब भविष्य की गर्त में हैं अभी वह भाजपा में शामिल तो नहीं हुए हैं. लिहाजा इसका जवाब देना बेमानी है. क्या भाजपा मुकुल राय को स्वीकार करेगी इस पर वह चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का बदला तेवर यह साबित करता है कि मुकुल को लेकर अब भाजपा में पहले जैसी आक्रमकता नहीं है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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