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रोहिंग्या शरणार्थियों की सहायता करे केंद्र व राज्य सरकार : अधीर

कोलकाता. प्रदेश कांग्रेस अधीर चौधरी ने कहा है कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की सहायता से केंद्र व राज्य सरकार मुंह नहीं मोड़ सकती. रानी रासमणि एवेन्यू में सारा बांग्ला अल्पसंख्यक फेडेरेशन व अन्य संगठनों की ओर से आयोजित सभा में पहुंचे श्री चौधरी ने कहा कि देश में करीब डेढ़ करोड़ तिब्बती शरणार्थी हैं. […]

कोलकाता. प्रदेश कांग्रेस अधीर चौधरी ने कहा है कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की सहायता से केंद्र व राज्य सरकार मुंह नहीं मोड़ सकती. रानी रासमणि एवेन्यू में सारा बांग्ला अल्पसंख्यक फेडेरेशन व अन्य संगठनों की ओर से आयोजित सभा में पहुंचे श्री चौधरी ने कहा कि देश में करीब डेढ़ करोड़ तिब्बती शरणार्थी हैं.

इसके अलावा बड़ी तादाद में श्रीलंकाई तमिल, अफगानी व अन्य शरणार्थी भी हैं. ऐसे में भारत सरकार आज केवल रोहिंग्या शरणार्थियों को ही देश से वापस खदेड़ देना चाहती है. भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की तादाद करीब 40 हजार है. म्यांमार में आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ रोहिंग्या मुस्लिम आतंकी घटना में लिप्त है. यदि ऐसा है तो भारत में कश्मीर, उत्तर-पूर्व, छत्तीसगढ़ से सभी लोगों को निकाल देना चाहिए, क्योंकि आतंकी घटना तो वहां भी हुई हैं. एक की सजा सभी लोगों को कैसे दी जा सकती है. शरणार्थियों को भगा देने की भारत की सभ्यता व संस्कृति नहीं है.

श्री चौधरी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देश के बावजूद बंगाल में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को अभी तक राज्य सरकार ने शरणार्थी का कार्ड नहीं दिया है. राज्य सरकार को उनकी देखभाल का जिम्मा उठाना चाहिए. सभा में पीरजादा तोहा सिद्दीकी ने कहा कि म्यांमार में केवल रोहिंग्या मुस्लिमों की ही नहीं, बल्कि हिंदुओं की भी हत्या की जा रही है. बंगाल में करीब 330 रोहिंग्या शरणार्थी हैं. वह मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि उन शरणार्थियों को जेलों से निकाल कर उनका पुनर्वास किया जाये. सभा में मौजूद माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती का कहना था कि केंद्र सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए.
यह मानवता की मांग है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पूर्व म्यांमार क्यों गये यह स्पष्ट करना होगा. केंद्र सरकार शरणार्थियों को वापस भेजने की बात कह रही है. यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए.
Prabhat Khabar Digital Desk
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