नयी दिल्ली : लोकसभा में आज कंपनी संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया. कारोबार करने के मार्ग को सुगम बनाने के लिए सरकार ने आज लोकसभा में कंपनी कानून को संशोधन करने वाला विधेयक पेश किया, जिसमें अवैध रुप से धन जमा करने की गतिविधियों एवं ऐसे कार्यो के लिए सख्त दंड का प्रावधान है.
लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश कंपनी संशोधन विधेयक 2014 में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की ओर से पारित नये कंपनी कानून के विभिन्न प्रावधानों में 14 बदलाव करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है, सरकार द्वारा औद्योगिक चैम्बरों , संस्थाओं, विधि विशेषज्ञों और मंत्रालयों एवं विभागों समेत विभिन्न पक्षों से प्राप्त ज्ञापनों में कारोबार करने में कुछ व्यवहारिक कठिनाइयों को अभिव्यक्त किया गया है. इस बारे में उठाये गए मुद्दों और सुझावों का केवल संशोधन के जरिये ही समाधान निकाला जा सकता है. विधेयक में अवैध तरीके से धन जमा करने की गतिविधि, फर्जी योजनाओं के जरिये लोगों को ठगने जैसी गतिविधियों के संदर्भ में दंड का प्रावधान किया गया है.
यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की देश को कारोबार के लिए बेहतर स्थल बनाने की पहल का हिस्सा है. पक्षकारों के लेनदेन से जुडे प्रावधानों में बदलाव के साथ इसमें आडिटरों को गलत सूचना देने के विरुद्ध प्रावधान, बोर्ड के प्रस्ताव की सार्वजनिक जांच करने, आडिट कमिटि की जिम्मेदारी तय करने, न्यूनतम चूकता पूंजी की जरुरत और मामलों की सुनवाई के लिए पीठों को मजबूत बनाने का भी उपाय किए गए हैं. विधेयक में जमानत पर रोक, साझा मुहर के विकल्प और अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र संबंधी प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.
देश में कारपोरेट क्षेत्र के संचालन के लिए कंपनी विधेयक 2013 इस वर्ष. अप्रैल से प्रभाव में आया था. कंपनी संशोधन विधेयक 2014 के प्रस्ताव में कहा गया है कि विभिन्न पक्षों को पेश आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर कानून में संशोधन पेश किया गया है.
इस विधेयक में अन्य बातों के अलावा कुछ मामलों में न्यूनतम चूकता शेयर पूंजी की अपेक्षा को समाप्त करने और साझा मुहर को वैकल्पिक बनाने और वर्ष के लाभांश घोषित करने से पूर्व पिछली हानियों को अपलिखित करने के उपबंधों को संशोधित करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक में नियत सीमा का प्रावधान किया गया है और इसके आगे राशि की धोखाधडी के बारे में केंद्र सरकार को रिपोर्ट करना होगा. इससे कम की सूचना आडिट कमिटि को देनी होगी.