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Friday, March 29, 2024

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कार से बुलेट ट्रेन तक, भारत-जापान संबंधों ने तय की है लंबी दूरी : पीएम मोदी

कोबे (जापान) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि जापान और भारत के संबंध समय के साथ मजबूत होते आ रहे हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोनों ने कार बनाने के लिये आपस में सहयोग की शुरुआत की थी और अब दोनों मिल कर बुलेट ट्रेन बनाने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री […]

कोबे (जापान) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि जापान और भारत के संबंध समय के साथ मजबूत होते आ रहे हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोनों ने कार बनाने के लिये आपस में सहयोग की शुरुआत की थी और अब दोनों मिल कर बुलेट ट्रेन बनाने जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कोबे शहर में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जापान ने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. मोदी ने कहा, जब विश्व के साथ भारत के संबंध की बात आती है, जापान एक महत्वपूर्ण स्थिति रखता है. ये संबंध आज के नहीं हैं बल्कि सदियों पुराने हैं. इसके आधार में सौहार्द तथा एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति सम्मान है.

उन्होंने कहा कि भारत अगले पांच साल में पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. ऐसे में द्विपक्षीय संबंध पहले से बेहतर होने वाले हैं. मोदी शुक्रवार से ओसाका में शुरू हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये यहां आये हैं. उन्होंने कहा, एक ऐसा समय था जब हम कार बनाने के लिये एक साथ आये थे और अब हम बुलेट ट्रेन बनाने के लिये एक साथ आये हैं.

उन्होंने कहा, आज भारत में ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं है जहां जापान की परियोजनाओं या निवेश ने अपना चिह्न नहीं छोड़ा है. इसी तरह भारत की प्रतिभा और श्रमबल ने जापान को मजबूत बनाने में योगदान दिया है. जापान में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया.

गौरतलब है कि भारत ने अहमदाबाद से मुंबई के बीच पहली बुलट-ट्रेन चलाने की योजना बनायी है. इसमें जापान मदद से काम चल रहा है. इस परियोजना का पहला चरण 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है. 508 किलोमीटर की इस लाइन के लिए नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लि. (एनएचआरएससीएल) भूमि जुटाने का काम कर रही है.

मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, न्यायमूर्ति राधाविनोद पाल और कई सारे भारतीयों ने जापान के साथ भारत का संबंध मजबूत किया है. यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दोनों देशों के संबंध नयी ऊंचाइयों पर पहुंचे.

उन्होंने कहा, जब मैं 2014 में प्रधानमंत्री बना, मुझे अपने दोस्त प्रधानमंत्री (जापान के) शिंजो आबे के साथ मिलकर भारत-जापान दोस्ती को मजबूत करने का अवसर मिला. हमने राजनयिक संबंधों को राजधानी और राजदूतों से आगे बढ़ाकर सीधे जनता के बीच पहुंचा दिया. मोदी ने इस मौके पर आबे की सराहना भी की. उन्होंने कहा, मुझे दिल्ली और अहमदाबाद के अलावा प्रधानमंत्री आबे को वाराणसी ले जाने का अवसर मिला.

उन्होंने मेरे संसदीय क्षेत्र की यात्रा की और वहां गंगा आरती में भाग लिया. उन्हें जब भी मौका मिला, उन्होंने पवित्र अनुभव के बारे में बातें की. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का मुख्य ध्यान सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी संरचना के विकास पर रहा है. उन्होंने कहा, हम अगले कुछ महीने में चंद्रयान-दो लांच करने वाले हैं तथा 2022 तक हमारी योजना मानवरहित अंतरिक्ष यात्रा अभियान गगनयान शुरू करने की है.

* मोदी ने आबे के साथ भगोड़े आर्थिक अपराधियों और आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर चर्चा की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान के अपने समकक्ष शिंजो आबे के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था, भगोड़े आर्थिक अपराधियों और आपदा प्रबंधन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की और अक्टूबर में होने वाले सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शिरकत करने का ऐलान किया.

जापान में रीवा युग की शुरुआत और मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात है. प्रधानमंत्री ने आबे और जापान के नागरिकों को रीवा युग की शुरुआत के लिये बधाई दी. एक मई को नए सम्राट नारुहितो के पद संभालने के साथ ही जापान में रीवा युग की शुरुआत हो गई। जापान में सम्राट के बदलने के साथ ही युग बदल जाता है.

रीवा नये युग के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. यह दो अक्षरों री और वा से मिलकर बना है, जिसमें री का अर्थ है आदेश या शुभ अथवा अच्छा और वा का अर्थ होता है भाईचारा. जापानी भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल ‘शांति’ के लिये भी किया जाता है.

मोदी ने अपने साथ जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी से स्वागत के लिये आबे का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में जापान के नेतृत्व की भी प्रशंसा की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह वार्षिक शिखर बैठक के लिये इस साल के उत्तरार्द्ध में आबे की भारत यात्रा को लेकर उत्सुक हैं.

बाद में मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक गर्मजोशी भरी रही, जो पुराने दोस्त भी हैं. दोनों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों पर काफी रचानात्मक और विस्तृत चर्चा हुई. गोखले ने कहा, आबे ने जी-20 शिखर सम्मेलन से अपनी अपेक्षाओं के साथ चर्चा शुरू की. उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व के बारे में भी बात की.

उन्होंने कहा कि आबे ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों के मुद्दे पर पिछले जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की पहलों का भी जिक्र किया और कहा कि जी-20 को भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के तहत इस समस्या से निपटना चाहिये. मोदी ने कहा कि वह सितंबर की शुरुआत में व्लादिवोस्टक में पूर्वी आर्थिक मंच के सम्मेलन के दौरान आबे से दोबारा मुलाकात करने को लेकर उत्सुक हैं.

मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे. मोदी ने पूर्वोत्तर भारत में ढांचागत परियोजनाओं में जापान के योगदान की भी प्रशंसा की. प्रधानमंत्री ने आपदा विरोधी ढांचा खड़ा करने में जापान का सहयोग भी मांगा.

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