
#MeToo अभियान की वजह से आख़िरकार मोदी सरकार के विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा है.
समाचार एजेंसी एएनआई और दूरदर्शन के मुताबिक़ अकबर ने एक छोटे से बयान के साथ अपने इस्तीफ़े की घोषणा की.
एमजे अकबर ने लिखा है, ''मैंने तय किया है कि व्यक्तिगत रूप से न्याय के लिए कोर्ट में गुहार लगाऊंगा. मैंने पद से इस्तीफ़ा देने का निर्णय लिया है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभारी हूं जिन्होंने मुझे देश सेवा का मौका दिया.''
इस इस्तीफ़े की मांग देशभर की महिलाओं की ओर से की जा रही थी. आठ अक्टूबर को पत्रकार प्रिया रमानी ने एम जे अकबर पर संपादक रहते हुए यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.
इसके बाद 20 महिलाओं ने अकबर पर उत्पीड़न के आरोप लगाए. अकबर ने प्रिया पर आपराधिक मानहानि का केस किया और अब उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
हालांकि रविवार को जब वो विदेश यात्रा से लौटे थे तो उन्होंने संकेत दिए थे कि वो आक्रामक हैं और इस्तीफ़ा नहीं देंगे. लेकिन तीन दिन में कहानी बदल गई.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस ने उनके इस्तीफ़े का स्वागत किया है. पार्टी नेता संजय झा ने कहा, ''जो भी हो. चाहे वह बॉलीवुड का हो या नेता या सेलिब्रिटी हो. नियम सबके लिए एक से होने चाहिए. अगर महिलाएं बोल रही हैं तो उसमें कोई साज़िश तो नहीं कर रही होंगी. जिनपर भी ऐसे आरोप लगे हैं, उन्हें अपने अंदर झांकने की ज़रूरत है.''
महिला आयोग भी इस फ़ैसले के पक्ष में दिखा. आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, ''इस फ़ैसले का स्वागत करती हूं. कहीं न कहीं जांच पूरी होने तक उनसे इस्तीफा मांगा गया होगा. महिला आयोग इससे खुश है और इसका स्वागत करता है.''
मोदी सरकार के मंत्री रामदास अठावले ने एएनआई से कहा, ''विपक्ष नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़े की मांग कर रहा था. उन पर लगे आरोपों की ठीक तरह से जांच होनी चाहिए.''
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, ''आखिरकार एम जे अकबर ने इस्तीफ़ा दे दिया. उन पर शर्म आती है जिन्होंने इसे अब तक टाला. इस इस्तीफ़े का श्रेय केंद्र या अकबर को नहीं बल्कि #MeToo कैंपेन को जाता है.''

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, ''सभी मर्दों को एक छोटा थप्पड़ और मानवता के लिए एक बड़ा कदम. #MeToo अभियान में हिस्सा लेने वाली उन सभी बहादुर महिलाओं को सलाम जो इसके लिए खड़ी हुईं.''
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अमित शाह ने पहले कहा था, ''केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच होगी.''
राजनीतिक गलियारों और महिला अधिकारों की आवाज़ उठाने वाले समूहों के अलावा सोशल मीडिया पर भी अकबर का इस्तीफ़ा छाया रहा.
ट्विटर यूज़र ट्रेंडुलकर लिखते हैं कि अब कोई सुहेल सेठ को भी एक अदद नौकरी दे दे ताकि वो भी इस्तीफ़ा दे सकें.
वहीं, RoflGandhi_ ट्विटर हैंडल से इलाहाबाद के नाम बदलने और अकबर के इस्तीफ़े को जोड़ा है. उन्होंने लिखा, ''चलो अकबर भी गया और इलाहाबाद भी.''
अच्युत शेखर ट्विटर पर लिखते हैं, "#MJAkbar अकबर साहब भी इलाहाबाद हो गए..."
@ShayarSalman ट्विटर हैंडल से सलमान ज़फर लिखते हैं, ''सवाल गणित का है...20 महिलाओं के 'एकजुट' होने पर एक मंत्री इस्तीफ़ा देता है तो देश भर की महिलाओं के 'एकजुट' होने पर क्या होगा ??''
अनिमेश कुमार ने लिखा है "महाष्टमी के मौके पर एम जे अकबर ने इस्तीफ़ा दिया है. ये नारी शक्ति के बारे में बताता है.''
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