बीजिंग : ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहली बार क्षेत्र में हिंसा फैलाने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के साथ जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेने के बाद भी चीन सोमवार को उन सवालों को टालता रहा जिसमें पूछा गया था कि क्या जैश प्रमुख मसूह अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित किये जाने को रोकने के उसके रुख में कोई बदलाव आया है.
वीटो की क्षमता रखनेवाले सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को प्रतिबंधित करने के कदम को बार-बार बाधित किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने चीन समेत ब्रिक्स देशों द्वारा क्षेत्र में हिंसा फैलानेवाले संगठनों में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों पर कड़ा रुख लिये जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान में हमारी स्थिति सुसंगत और दृढ़ है.
‘उन्होंने हालांकि उस सीधे सवाल से किनारा किया कि क्या ब्रिक्स, जिसमें चीन एक महत्वपूर्ण सदस्य है, द्वारा जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया जाना बीजिंग के रुख में बदलाव का संकेत है जो हमेशा इस संगठन के मुखिया अजहर पर प्रतिबंध के खिलाफ रहा है. जेंग ने कहा, ‘मैंने ब्रिक्स का संयुक्त घोषणा पत्र नहीं देखा और इसकी विशिष्ट सामग्री की जानकारी नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘ब्रिक्स देशों में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर, ब्रिक्स द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों से हम बेहद संतुष्ट हैं. आतंकवाद पर हमारे यहां एक कार्यसमूह है.’ पिछले दो सालों में भारत और बाद में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अजहर को आतंकवादी घोषित करने के मामले में चीन लगातार यह कह कर अड़गा लगाता रहा है कि इस मुद्दे पर कोई आम राय नहीं है. इसकी वजह से भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय रिश्तों में कड़वाहट बढ़ी, क्योंकि बीजिंग के इस कदम को पाकिस्तान के लिए अजहर के बचाव के प्रयास के तौर पर देखा गया.