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बोले पीएम मोदी- चंद्रशेखर के चहेते थे हरिवंश, खुद के अखबार को भी नहीं लगने दी इस्तीफे की भनक

नयी दिल्ली : जदयू के हरिवंश के गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि वह समाज के निचले स्तर के लोगों से जुड़े रहे हैं और उनके अनुभवों से पूरे सदन को लाभ मिलेगा. उन्होंने हरिवंश और उनके प्रतिद्वंद्वी बी के हरिप्रसाद के चुनाव […]

नयी दिल्ली : जदयू के हरिवंश के गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि वह समाज के निचले स्तर के लोगों से जुड़े रहे हैं और उनके अनुभवों से पूरे सदन को लाभ मिलेगा. उन्होंने हरिवंश और उनके प्रतिद्वंद्वी बी के हरिप्रसाद के चुनाव में होने पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘सदन पर हरिकृपा बनी रहेगी.’

प्रधानमंत्री ने उच्च सदन में हरिवंश को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘‘ आज नौ अगस्त है. आजादी के आंदोलन में अगस्त क्रांति बहुत महत्वपूर्ण है. अगस्त क्रांति का बलिया से विशेष संबंध है. 1857 की क्रांति से लेकर आजादी के आंदोलन तक बलिया आंदोलन का बिगुल बजाने में अग्रणी रहा है. स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे से लेकर चंद्रशेखर तक यह परंपरा रही है. उसी कड़ी में आज एक और नाम जुड़ गया है, हरिवशंजी.’

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मोदी ने कहा, ‘‘उनका जन्म जयप्रकाशजी के गांव में हुआ और आज भी वह उस गांव से जुड़े हुए हैं. जयप्रकाश के सपनों को साकार करने के लिए जो ट्रस्ट चल रहा है, वह उसके ट्रस्टी के रूप में भी काम करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘ हरिवंश उस कलम के धनी हैं जिसने अपनी खास पहचान बनायी है. मेरे लिये यह भी खुशी की बात है कि वह बनारस के विद्यार्थी रहे थे. उनकी शिक्षा दीक्षा बनारस विश्वविद्यालय में हुई और वहीं से उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया. रिजर्व बैंक ने उन्हें पसंद किया किंतु उन्होंने रिजर्व बैंक को पसंद नहीं किया. बाद में घर की परिस्थितियों के कारण उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंक में काम किया. उन्होंने दो साल हैदराबाद में एक बैंक में काम किया.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह कभी हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में रहे। पर हरिवंश को इन महानगरों की चकाचौंध कभी नहीं भाई. उन्होंने कोलकाता में वरिष्ठ पत्रकार एसपी सिंह के साथ रविवार पत्रिका में काम किया था. उन्होंने एक प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में धर्मयुग में धर्मवीर भारती के साथ काम किया. दिल्ली में (पूर्व प्रधानमंत्री) चंद्रशेखर के साथ काम किया. चंद्रशेखरजी के वह चहेते थे. चंद्रशेखरजी के साथ वह उस पद पर थे जहां उनको सब जानकारी थी. चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले थे, यह उनको जानकारी थी. उस समय वह एक अखबार से जुड़े थे लेकिन उन्होंने अपने अखबार तक को भनक नहीं लगने दी कि चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले हैं. उन्होंने अपने पद की गरिमा को रखते हुए गोपनीयता बनाये रखी. इस खबर को अपने अखबार तक में नहीं छापकर वाहवाही नहीं लूटी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हरिवंश रांची के प्रभात खबर समाचारपत्र से जुड़े तो उसका प्रसार मात्र 400 था. इतने सारे अवसर होने के बावजूद उन्होंने अपने को 400 सकुर्लेशन वाले अखबार में खपा दिया. उनके चार दशक की पत्रकारिता सामाजिक कारणों से जुड़ी हुई थी, राज-कारण से नहीं. यह सबसे बड़ा कारण था कि उन्होंने समाज कारण वाली पत्रकारिता से अपने को जोड़े रखा और राज- कारण वाली पत्रकारिता से खुद को दूर रखा. वह जन आंदोलन के रूप में अखबार को चलाते थे.

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मोदी ने कहा कि हरिवंश ने परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद अल्बर्ट एक्का की पत्नी के लिए चार लाख रुपये एकत्रित किये क्योंकि उनकी माली हालत ठीक नहीं थी. हरिवंश ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने न केवल बहुत सारी किताबें पढ़ीं बल्कि बहुत सारी किताबें लिखी भी. उन्होंने एक सांसद के रूप में सफलता से लोगों को अपना अनुभव कराया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन का हाल यह है कि खिलाड़ियों से ज्यादा ‘‘अम्पायर’ परेशान रहते हैं. इसलिए नियमों में सभी को खेलने के लिए मजबूर करना एक चुनौतीपूर्ण काम है. लेकिन हरिवंश इस काम को जरूर पूरा करेंगे. हरिवंश की पत्नी आशा जी स्वयं चम्पारण से हैं. उनका पूरा परिवार कहीं गांधी से, कहीं जयप्रकाश नारायण से जुड़ा है. वह भी राजनीति शास्त्र में एमए हैं और उनका ज्ञान हरिवंश को अब ज्यादा मदद करेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि अब सदन का यह मंत्र बन जाएगा, ‘हरिकृपा.’ अब सब कुछ हरि भरोसे। मुझे विश्वास है कि पूरे सदन पर हरिकृपा बनी रहेगी. यह चुनाव ऐसा था जिसमें दोनों तरफ हरि थे। लेकिन एक के आगे बी के था..बी के हरि. लेकिन कोई नहीं बिके. इधर इनके पास कोई बिके… बीके नहीं था. लेकिन मैं बी के हरिप्रसाद को भी लोकतंत्र की मर्यादा निभाने के लिए बधाई देता हूं. सभी कह रहे थे कि परिणाम पता है. फिर भी प्रक्रिया करेंगे (चुनाव में भाग लेने के लिए)। तो नये लोगों की ट्रेनिंग हो गयी होगी वोट डालने की.’

उन्होंने उम्मीद जतायी कि हरिवंश के अनुभव और समाज कारणों के प्रति समर्पण से सबको लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि हरिवंश ने अपने अखबार में एक स्तंभ चलाया था कि ‘‘हमारा सांसद कैसा हो’? शायद उस समय हरिवंश को भी यह उम्मीद नहीं रही होगी, वह भी कभी सांसद बनेंगे. मैं समझता हूं कि इस बारे में उनके जो सपने थे, उसे पूरा करने के लिए उन्हें यह एक बड़ा अवसर मिला है. हम सभी सांसदों को उनसे अनुभव मिलेगा. मोदी ने कहा कि अक्सर दशरथ मांझी की चर्चा होती है. हरिवंश ही वह पत्रकार थे जो दशरथ मांझी की कहानी को पहली बार सामने लेकर आये थे. समाज के बिल्कुल नीचे के स्तर से लोगों से जुड़े एक महानुभाव हमारा मार्गदर्शन करने वाले हैं. मेरी तरफ से उन्हें बहुत बहुत बधाई…

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