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साकीनाका केस: सीएम उद्धव ठाकरे और गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी में फिर छिड़ी जंग, दोनों ने एक-दूसरे को लिखा पत्र

Maharashtra के सीएम उद्धव ठाकरे और गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर से आमने सामने हैं. साकिनाका रेप मामले पर दोनों ने एक दूसरे को पत्र लिखा है. दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की बात कही थी.

Maharashtra Latest Politics News महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर से आमने सामने हैं. साकिनाका रेप मामले पर दोनों नेताओं ने एक दूसरे को पत्र लिखा है. दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की बात कही थी. राज्यपाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की महिला विधायकों की यह मांग है. जिसके जवाब में महाविकास अघाड़ी सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे ने कहा कि विपक्ष की मांग को जरूरत से ज्यादा समर्थन देना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महिला सुरक्षा और उनके साथ होने वाली हिंसक घटनाएं को एक राष्ट्रिय मुद्दा बताया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में चार दिन का एक विशेष सत्र बुलाया जाए और इस दौरान साकीनाका रेप मामले पर भी चर्चा हो जाएगी. सीएम उद्धव ठाकरे ने 20 सितंबर को राज्यपाल को 4 पन्नों का जवाब भेजते हुए लिखा है कि महिलाओं के साथ हैवानियत की घटनाएं सिर्फ महाराष्ट्र या मुंबई में ही नहीं होते हैं. यह देश के अन्य राज्यों और बीजेपी शासित राज्यों में भी होते हैं.

सीएम उद्धव ठाकरे ने गवर्नर को अन्य राज्यों में हुए दुष्कर्म के मामले गिनाते हुए कहा कि साकीनाका की घटना में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था. महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल के बीच तल्खी की वजह से अभी तक बारह विधायकों की सूची पर कोई भी फैसला नहीं लिया जा सका है. हालांकि सरकार के मंत्री समय-समय पर इस विषय को राज्यपाल महोदय के सामने उठाते रहे हैं. राज्य सरकार ने तकरीबन नौ महीने पहले 12 प्रस्तावित नामों की सूची राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजी थी.

वहीं, महाविकास आघाडी सरकार से जुड़े नेताओं का तर्क है कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले पर जिस तरह से राज्यपाल विशेष अधिवेशन बुलाने की बात कर रहे हैं, उससे तो उत्तर प्रदेश में रोज अधिवेशन बुलाना पड़ेगा. गुजरात में हर रोज दुष्कर्म की तीन घटनाएं होती हैं. ऐसे तो गुजरात में एक महीने का अधिवेशन बुलाना पड़ेगा. राज्यपाल जिस उत्तराखंड से आते हैं और वहां महिलाओं के प्रति अत्याचार की घटनाएं तो डेढ़ सौ फीसदी बढ़ गई हैं. पहले वहां अधिवेशन बुलाया जाना चाहिए.

उधर, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने राज्यपाल के पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल विशेष अधिवेशन की मांग करे, यह एक नई परंपरा शुरू हो रही है. वहीं, इस मुद्दे पर विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने अपनी प्रतिक्रिया में सीएम उद्धव ठाकरे के जवाब को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र की ओर ऊंगली करके राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकती है. राज्यपाल को जवाब देने की बजाए उनकी चिंताओं को गौर से समझने और उस पर गंभीरता से अमल करने की जरूरत है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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