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एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल नियुक्त किये जाने पर क्यों भिड़े भाजपा और कांग्रेस ? जानें पूरा मामला

Justice Abdul S Nazeer : भाजपा नेता अनिल बलूनी ने कहा कि हर मुद्दे को राजनीतिक रंग देना कांग्रेस की आदत है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी पार्टी राज्यपालों की नियुक्ति पर भी ऐसा ही कर रही है. जानें यहां कांग्रेस ने मोदी सरकार को कैसे घेरा.

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर (Justice Abdul S Nazeer) को राज्यपाल नियुक्त किये जाने को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है. कांग्रेस ने इस तरह की नियुक्तियों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की और इसके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता अरूण जेटली की टिप्पणियों का जिक्र किया. साथ ही, इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक ‘‘गंभीर खतरा’’ करार दिया. वहीं, भाजपा ने कहा कि इस तरह की नियुक्तियों के उदाहरण अतीत में भी देखने को मिले हैं और संविधान द्वारा इस पर पाबंदी नहीं लगायी है.

आपको बता दें कि सरकार ने रविवार को छह नये चेहरों को राज्यपाल नियुक्त किया, जिनमें नजीर भी शामिल हैं. वह राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे. नजीर, राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद, ‘तीन तलाक’ और ‘निजता के अधिकार’ को मूल अधिकार घोषित करने सहित कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे थे. उल्लेखनीय है कि सरकार ने सात राज्यों में राज्यपाल के पदों पर फेरबदल भी किया है.

जयराम रमेश ने ट्विटर पर क्या लिखा

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली का एक वीडियो संलग्न (टैग) किया, जिसमें भाजपा के दिवंगत नेता को 2012 में यह कहते सुना जा सकता है कि ‘‘सेवानिवृत्ति से पूर्व के फैसले सेवानिवृत्ति के बाद पद पाने की आकांक्षा से प्रभावित होते हैं.’’ रमेश ने वीडियो के साथ किये गये ट्वीट में कहा, ‘‘इस बारे में पर्याप्त सबूत पिछले तीन-चार वर्षों में निश्चित रूप से मिला है.’’

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अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा

नजीर की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘आपके(भाजपा के) एक कद्दावर (दिवंगत) नेता, अरूण जेटली ने पांच सितंबर 2013 को संसद में और कई बार इसके बाहर भी कहा था कि सेवानिवृत्ति के बाद पद पाने की आकांक्षा सेवानिवृत्ति से पूर्व के फैसलों को प्रभावित करती हैं. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है.’’

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने क्या कहा

वहीं, भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि हर मुद्दे को राजनीतिक रंग देना कांग्रेस की आदत है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी पार्टी राज्यपालों की नियुक्ति पर भी ऐसा ही कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व न्यायाधीशों को अतीत में अनगिनत मौकों पर विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया है। हमारा संविधान भी कहता है कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति बाद नियुक्तियों में कुछ भी गलत नहीं है.’’

भाषा इनपुट के साथ

Prabhat Khabar Digital Desk
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