Very Heavy Rain: हिमाचल प्रदेश में 20 जून को मानसून के दस्तक देने के बाद से राज्य में 95 बार अचानक बाढ़, 45 बार बादल फटने और भीषण भूस्खलन की 115 घटनाएं हुई हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून में अब तक राज्य को 3,158 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मानसून शुरू होने के बाद से बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 340 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 41 लोग लापता हैं.

37 साल बाद पंजाब में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही, 30 लोगों की गई जान
पंजाब 1988 के बाद से सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है. राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं और अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है. 3 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. 1400 से ज्यादा गांव जलमग्न हो गए हैं और 1.5 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा कृषि भूमि पर खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है. भारी बारिश के बाद रूपनगर और पटियाला जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया गया है, जबकि सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय सात सितंबर तक के लिए बंद कर दिए गए हैं. हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है. हिमालय से निकलने वाली सतलुज, व्यास और रावी नदियां तथा छोटी नदियां पहले से ही उफान पर हैं, जिससे शहर, गांव और कृषि भूमि जलमग्न हो गई है और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पंजाब में बारिश से बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है.

उत्तराखंड में मानसून ने कहर बरपाया, अब तक 79 लोगों की हो चुकी है मौत
उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश का सिलसिला जारी है. जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में जनजीवन प्रभावित है. राज्य में कई जगह बादल फटने की घटना हो चुकी है. इस वर्ष उत्तराखंड में मानसून ने काफी कहर बरपाया है. प्राकृतिक आपदाओं में अब तक 79 लोगों की मौत हो चुकी है, 114 लोग घायल हुए हैं और 95 लोग लापता हैं. मौसम विभाग ने देहरादून, चंपावत, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों में तीव्रत से अति तीव्र स्तर की वर्षा होने की चेतावनी जारी की है. इन जिलों में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. राज्य में अधिकांश नदियां उफान पर हैं. गंगा और उसकी सहायक नदियां जैसे मंदाकिनी और अलकनंदा समेत कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर चला गया है.

जम्मू-कश्मीर में बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से 130 से अधिक लोगों की मौत
जम्मू-कश्मीर में भयंकर बारिश का दौर जारी है. किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में 14 अगस्त से बादल फटने, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण 130 से अधिक लोग मारे गए और 120 से अधिक घायल हो गए, जबकि 33 का पता नहीं चल पाया है. जान गंवाने वालों में अधिकतर तीर्थयात्री थे. जिसमें श्री माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर 26 अगस्त को अर्धकुंवारी के पास बादल फटने की घटना के चलते 34 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई थी और 20 अन्य घायल हुए थे.

दिल्ली भी बाढ़ की चपेट में
दिल्ली भी भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में है. यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण दिल्ली के निचले इलाकों की सड़कों और बाजार में पानी भर गया जिससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और दुकानदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजनू का टीला, मदनपुर खादर और बदरपुर के निवासी यमुनाजल स्तर बढ़ने के कारण अब अस्थाई आश्रय स्थलों में रह रहे हैं और पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं. यमुना का जलस्तर बुधवार को दोपहर एक बजे 207 मीटर दर्ज किया गया.

