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चेन्नई में अवैध झुग्गियों को हटाने पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, एक व्यक्ति ने किया आत्मदाह

कन्नैयन के आत्मदाह करने के बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गयी. दरअसल, चेन्नई में बकिंघम नहर के पास गोविंदसामी नगर में अवैध झुग्गियों को हटाने के लिए अधिकारी पहुंचे थे. इसके विरोध में कन्नैयन (60) ने आत्मदाह कर लिया.

नयी दिल्ली: चेन्नई में अवैध झुग्गियों को हटाने के निर्णय पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया. झुग्गियों को हटाये जाने के विरोध में एक व्यक्ति ने आत्मदाह कर लिया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाओ अभियान पर रोक लगाने का आदेश देने से इंकार कर दिया है.

बकिंघम नहर के पास झुग्गियों को हटाने पहुंचे थे अधिकारी

कन्नैयन के आत्मदाह करने के बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गयी. दरअसल, चेन्नई में बकिंघम नहर के पास गोविंदसामी नगर में अवैध झुग्गियों को हटाने के लिए अधिकारी पहुंचे थे. इसके विरोध में कन्नैयन (60) ने आत्मदाह कर लिया. अधिकारियों के साथ स्थानीय लोगों ने हाथापायी भी की. लोगों के मारपीट पर उतारू होने के बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोक दिया गया.

मृतक को सीएम ने दिये 10 लाख रुपये

आत्मदाह करने वाले कन्नैयन के परिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 10 लाख रुपये मदद के तौर पर देने का ऐलान किया. इस पर राजनीति भी शुरू हो गयी. स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर झुग्गियों को हटाये जाने के प्रशासनिक फैसले पर रोक लगाने की मांग की. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेशों के अनुरूप अफसरों को कार्रवाई करने से रोके जाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती.

जल संसाधन विभाग ने शुरू की तोड़फोड़ की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले जल संसाधन विभाग ने तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की थी. स्थानीय लोगों का आरोप था कि तमिलनाडु सरकार की ओर से तय नियमों का अनुपालन किये बगैर जल संसाधन विभाग के अधिकारी तोड़फोड़ की कार्रवाई कर रहे हैं.

अच्छी जगह घर देने की मांग कर रहे लोग

जिन लोगों के घर तोड़े जा रहे थे, उन्होंने मांग की थी कि उन्हें सेमेनचेरी या पेरुम्बक्कम इलाके में घर देने की बजाय किसी बढ़िया जगह पर दिया जाये. लोगों का कहना है कि उन्हें जिस जगह जमीन या घर दिया जा रहा है, वह शहर से बहुत दूर है. झुग्गी वालों की ओर से कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट में कहा कि जहां लोगों को बसाने की बात कही जा रही है, वहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. इसलिए इस पर तुरंत सुनवाई होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

कोलिन गोंजाल्विस की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि इस विषय पर मंगलवार (10 मई 2022) को सुनवाई होगी. हालांकि जस्टिस खानविलकर ने कार्रवाई पर रोक लगाने से साफ इंकार किया. कहा कि हम कार्रवाई को रोक नहीं रहे हैं. हम उम्मीद नहीं कर सकते कि अधिकारी हमारे आदेशों के अनुसार कार्रवाई नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उन्हें लगेगा कि कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत है, तो हम देखेंगे.

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