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मॉब लिंचिंग : SC ने गौरक्षा के नाम पर की गई हत्याओं पर सुनवाई करने किया इनकार, हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

मॉब लिंचिंग के शिकार पहलू खान, रकबर, जुनैद और नासिर आदि के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. ये सभी याचिकाकर्ता गौरक्षक होने का दावा करने वाले राजस्थान और हरियाणा राज्यों के निगरानी समूहों की हिंसा के शिकार हैं. इन निगरानीकर्ताओं में वे लोग भी शामिल हैं.

नई दिल्ली : हरियाणा के मेवात में गौरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग के दौरान की गई हत्याओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवारों की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मेवात में गौरक्षा के नाम पर मुस्लिम लोगों की हत्या की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने और गौ रक्षा को लेकर राजस्थान और हरियाणा में बने कानूनों को भी रद्द करने की अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि वह इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा. याचिकाकर्ता चाहें, तो हाईकोर्ट जा सकते हैं. इसके साथ ही, अदालत ने मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के मामलों की निगरानी करने और पुलिस से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगने की बात भी नामंजूर कर दी.

पहलू खान के परिजनों ने दाखिल की थी याचिका

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मॉब लिंचिंग के शिकार पहलू खान, रकबर, जुनैद और नासिर आदि के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. ये सभी याचिकाकर्ता गौरक्षक होने का दावा करने वाले राजस्थान और हरियाणा राज्यों के निगरानी समूहों की हिंसा के शिकार हैं. इन निगरानीकर्ताओं में वे लोग भी शामिल हैं, जो इस तरह की कार्रवाई के लिए सरकार द्वारा इस ओर से अधिकृत व्यक्ति होने का दावा करते हैं.

2015 के बाद से मेवात में निगरानी समूहों ने की हत्या और हिंसा

मॉब लिंचिंग के शिकार लोगों के परिजनों की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 2015 के बाद से मेवात क्षेत्र में निगरानी समूहों द्वारा हत्याएं और हिंसा हुई है. मेवात में हरियाणा और राजस्थान के निकटवर्ती हिस्से शामिल हैं. ये क्षेत्र राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों से लेकर हरियाणा के नूंह, पलवल, फरीदाबाद और गुरुग्राम तक फैला हुआ है. याचिका में कहा गया है कि निगरानी समूह केवल उन लोगों को रोकते हैं, जिनका पहनावा और नाम आदि मुसलमानों जैसा लगता है और सड़कों, राजमार्गों, ट्रेनों, गांवों और खेतों में हिंसा करते हैं.

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असुरक्षित हो गया पूरा मेवात क्षेत्र

याचिका में कहा गया है कि यह 2015 में दादरी, जिला गौतम बुद्ध नगर में अखलाक की हत्या से प्रेरणा लेते हुए एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ. उसी साल, हरियाणा राज्य ने 2015 का हरियाणा अधिनियम पारित किया. इस अधिनियम को पारित किया गया और 1995 के राजस्थान अधिनियम के साथ पढ़ा गया. पूरा मेवात क्षेत्र असुरक्षित हो गया, क्योंकि गैर-राज्य तत्वों को कानून और व्यवस्था को अपने हाथों में लेने और गोरक्षा के नाम पर क्षेत्र में मुसलमानों पर हमला करने के लिए कानूनी मंज़ूरी मिल गई. वास्तव में, 1995 अधिनियम और 2015 अधिनियम ने गौरक्षकों को संस्थागत और हथियार बना दिया हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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