Shashi Tharoor: भारतीय केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए सांसदों के 7 प्रतिनिधिमंडल में से एक की अगुआई कर रहे शशि थरूर अपनी टीम के साथ वॉशिंगटन डीसी पहुंचे, जहां पिता और बेटे के बीच एक भावुक पल देखने को मिला. पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था, जिसके बाद से लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान का पर्दाफाश करने में जुटा हुए है. इस बीच शशि थरूर जब वॉशिंगटन डीसी पत्रकारों से बातचीत करने पहुंचे, तब वहां उनके बेटे ईशान थरूर ने सवाल किया.
शशि थरूर के बेटे ईशान थरूर पेशे से एक पत्रकार हैं. पत्रकारों से बातचीत के दौरान ईशान ने अपने पिता से पहले मजाकिया अंदाज में उनसे सवाल पूछने की इजाजत मांगी. उन्होंने अपने पिता से आतंकवाद और पहलगाम हमले को लेकर एक गंभीर सवाल पूछा. सवाल सुनकर शशि थरूर पहले थोड़ा मुस्कुराए और उन्हें माइक को ठीक से पकड़ने का इशारा किया.
Laughs all around as Shashi Tharoor answers a sharp question from his son Ishaan
— Shashank Mattoo (@MattooShashank) June 5, 2025
“That shouldn’t be allowed, that’s my son!” pic.twitter.com/KI5DdX9oHJ
ईशान थरूर का सवाल
ईशान ने उनसे पूछा कि क्या किसी देश ने भारत से सबूत मांगा है कि पहलगाम में हुए हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से हमले को लेकर साफ इंकार किया गया है. इसका जवाब देते हुए शशि थरूर कहते हैं कि मुझे खुशी है कि आपने मुझसे ये सवाल पूछा. मैं वादा करता हूं कि मैंने यह पहले तय नहीं किया था कि ये लड़का अपने पिता के साथ भी ऐसे करेगा है. यह सामने खड़ा लड़का मेरा बेटा है.
शशि थरूर का जबाव
शशि थरूर सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि किसी भी देश की सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सबूत नहीं मांगे हैं. आगे उन्होंने कहा कि भारत ने पूरी जांच करने के बाद कार्रवाई की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी अब पता चल गया है कि पाकिस्तान आतंक का वर्षों से समर्थन करता आया है.
शशि थरूर ने ओसामा बिन लादेन और 26/11 को मुंबई में हुए हमले की याद दिलाई
शशि थरूर ने आगे ओसामा बिन लादेन और 26/11 में मुंबई में हुए हमले का उदाहरण दिया. वह कहते हैं कि पाकिस्तान लगातार आतंकवादी साजिश रचकर देश में आतंकवादियों को भेजता है और फिर अपने हाथ को खड़ा कर देता है. आगे थरूर राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की बात को खारिज करते हुए कहते हैं कि मध्यस्थता शब्द हमें स्वीकार नहीं है. यह शब्द समानता का संकेत देता है, जो कि भारत और पाकिस्तान के मामले में सही नहीं है. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि एक तरफ जहां पाकिस्तान आतंकवाद को पालने वाला देश है, वहीं भारत एक लोकतांत्रिक देश है. दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है.