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Rajya Sabha Election 2020 : राज्यसभा चुनाव में सपा ने रोकी बसपा की राह, भाजपा में टूट पर टिकी उम्मीदें

Rajya Sabha Election 2020 : राज्यसभा चुनाव में विधायकों की संख्या के बूते samajwadi party के पास सिर्फ एक उम्मीदवार को जिताने की क्षमता है. bsp,bjp,congress, akhilesh yadav,mayawati

राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election 2020) में विधायकों की संख्या के बूते सपा के पास सिर्फ एक उम्मीदवार को जिताने की क्षमता है. लेकिन सपा ने 11वें प्रत्याशी के रूप में उतरे प्रत्याशी को समर्थन देकर सबको चौंका दिया है. सपा ने बसपा की राह में रोड़े अटकाने के साथ भाजपा में भी टूट की पृष्ठभूमि तय करने की कोशिश की है. भाजपा आसानी से 8 प्रत्याशी जिताने की क्षमता रखता है और उसने नौवां प्रत्याशी उतारने का जोखिम नहीं लिया है. आठ सीटें जिताने की क्षमता के बाद भी भाजपा के पास 25 वोट अतिरिक्त हैं.

नामांकन की समयसीमा पूरी होने से कुछ मिनट पहले प्रकाश बजाज ने सपा के कुछ विधायकों के समर्थन से पर्चा दाखिल कर राज्यसभा चुनाव में हलचल तेज कर दी. इसके पीछे भाजपा की उलझन बढ़ाने के साथ बसपा को भी सियासी मात देने की मंशा दिखती है. सपा नेतृत्व ने बजाज को उतारकर जहां एक ओर बसपा उम्मीदवार के राज्यसभा जाने के रास्ते को पेचीदा बनाकर उसे यूपी में आसान सियासी बढ़त लेने से रोकने की कोशिश की है. साथ ही भाजपा में कुछ विधायकों की मुखर हो रही नाराजगी पर भी सियासी निशाना साधकर राजनीतिक बिसात पर भगवा टोली को मात देने की चाल चली है.

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भाजपा के जिन विधायकों की नाराजगी कई बार सोशल मीडिया पर सामने आई है उनमें कुछ पहले सपा से भी विधायक रह चुके हैं. अगर इनमें एक-दो के वोट भी किन्हीं कारणों से बजाज को मिल जाते हैं तो सपा नेतृत्व की चाल सफल हो जाएगी. हालांकि राज्यसभा चुनाव की इस बार की अंकगणित देखते हुए भाजपा के दो-चार वोट भी इधर-उधर होने से उसके उम्मीदवारों की जीत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन सपा को भाजपा में बगावत का सियासी संदेश देने और सरकार को घेरने का मौका तो मिल ही जाएगा.

निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर इस बार एक उम्मीदवार का प्रथम वरीयता के वोटों का कोटा लगभग 36 आ रहा है. कारण, इस समय विधायकों की संख्या 395 ही है. इसमें भी सिर्फ 392 के ही वोट पड़ेंगे, क्योंकि जेल में बंद तीन विधायक मुख्तार अंसारी, तजीन फातिमा और विजय मिश्र वोट डालने नहीं आ पाएंगे. इस लिहाज से भाजपा आराम से अपने आठों उम्मीदवार प्रथम वरीयता के वोटों से ही निकाल सकती है. फिर भी उसके पास अपना दल के विधायकों तथा सपा-बसपा के बागी विधायकों सहित कम से कम 25 वोट अतिरिक्त बचते हैं.

बजाज के 11वें उम्मीदवार के रूप में उतरने से ओमप्रकाश राजभर की पाटी, कुछ निर्दलीय के साथ अपना दल विधायकों का भी रुख महत्वपूर्ण हो गया है. यदि मतदान की नौबत आती है तो ये देखने वाला होगा कि इनका वोट किधर जाता है. सपा के पास अतिरिक्त बच रहे वोटों के साथ वह बजाज को जिताने के लिए वोटों का प्रबंधन कैसे करती है. कारण, राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया के अनुसार विधायक को वोट डालने से पहले अपना वोट मतदान केंद्र में मौजूद पार्टी के प्रतिनिधि को दिखाना जरूरी होता है.

Posted By : Amitabh Kumar

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