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दिल्ली में कम हो रही किसानों भीड़, Rail Roko Andolan में भीड़ जुटाने का यह है किसान नेताओं का प्लान

कृषि कानून (Agri Laws) के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों की भीड़ अब दिल्ली हरियणा बॉर्डर पर स्थित सिंधु और टिकरी के विरोध स्थलों पर कम होने लगी है. इसे देखते हुए पंजाब किसान यूनियन के नेताओं ने पंजाब में हो रही किसान महापंचायतों (Kisan mahapanchayat) को रद्दा करने का फैसला किया है. ताकि अधिक से अधिक किसान दिल्ली आ सकें. क्योंकि किसानों को उम्मीद है कि कृषि कानून के विरोध में गुरुवार को बुलाया गया देशव्यापी रेल रोको आंदोलन का सफल होना उनके लिए एक बड़ी जीत होगी. इसके जरिये वो सरकार पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए दबाव बना पाएंगे और एमएसपी की गारंटी भी ले पाएंगे. में

कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों की भीड़ अब दिल्ली हरियणा बॉर्डर पर स्थित सिंधु और टिकरी के विरोध स्थलों पर कम होने लगी है. इसे देखते हुए पंजाब किसान यूनियन के नेताओं ने पंजाब में हो रही किसान महापंचायतों को रद्दा करने का फैसला किया है. ताकि अधिक से अधिक किसान दिल्ली आ सकें. क्योंकि किसानों को उम्मीद है कि कृषि कानून के विरोध में गुरुवार को बुलाया गया देशव्यापी रेल रोको आंदोलन का सफल होना उनके लिए एक बड़ी जीत होगी. इसके जरिये वो सरकार पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए दबाव बना पाएंगे और एमएसपी की गारंटी भी ले पाएंगे. में

मंगलवाल को 32 पंजाब किसान यूनियनों की बैठक में यह फैसला लिया इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये यह जानकारी दी गयी. भारतीय किसान यूनियन-दकौंडा के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि दिल्ली में मोर्चा को मजबूत करने के लिए पंजाब में बड़ी सभाओं को आयोजित करना अधिक महत्वपूर्ण था. उन्होंने सभी यूनियनों और प्रदर्शनकारियों से राज्य में महापंचायतों की किसी भी मौजूदा योजना को रद्द करने की अपील की.

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अखिल भारतीय किसान सभा के पंजाब प्रमुख मेजर सिंह पुन्नवाल ने पंजाब के ग्रामीणों से धन इकट्ठा करने और दिल्ली में एक साथ यात्रा करने का आग्रह किया, ताकि सरकार के पास यह संदेश जा सके कि दिल्ली में आंदोलन आज भी मजबूत स्थिति में है. महापंचायतों ने इस धारणा को गलत करार दिया कि दिल्ली में आंदोलन को वापस लिया जा रहा है. कीर्ति किसान यूनियन के राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि बड़े राज्यों में अन्य सभाओं की आवश्यकता हो सकती है जो आंदोलन दूर थे. लेकिन पंजाब में नहीं जहां विरोध शुरू हुआ और जहां अधिकांश किसान जागरूक हैं और मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं.

संयुक्ता किसान मोर्चा के सक्रिय रूप से महापंचायतों को बढ़ावा दे रहा है, खासकर हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी यूपी, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के रूप में. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने यहां तक ​​घोषणा की है कि किसानों के लिए बेहतर है कि वे राजधानी में आने के बजाय जहां वे हैं वहां के किसानों को तैयार करें और जब दिल्ली बुलाया जायेगा तब ही वे दिल्ली आयें.

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संघ के नेताओं ने कहा कि वे बदलते मौसम के लिए व्यवस्था कर रहे है. युवा अपने खेतों में खड़ी फसल को काटने के लिए लौट रहे हैं क्योंकि सभी बड़े लोग दिल्ली में हैं. उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में पंखे और कूलर के लिए पानी और बिजली भी दी जाएगी.

Posted By: Pawan Singh

Prabhat Khabar Digital Desk
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