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Nirbhaya verdict: मृत्युदंड पाये दोषियों के घर का बुरा हाल, मां के नहीं रुक रहे आंसू

Nirbhaya verdict: मृत्युदंड पाये दोषियों के घर का बुरा हाल है. दोषियों की मां के नहीं रुक रहे हैं आंसू.

Nirbhaya verdict: निर्भया के दोषियों को शुक्रवार सुबह फांसी दे दी गयी. फांसी से पहले निर्भया के दोषी किस तरह खौफ में थे, यह जेल में मौजूद लोगों ने देखा. इस फांसी से जहां निर्भया की मां खुश नजर आ रही थी, वहीं दो ऐसी भी माताएं थीं जिनके आंसू नहीं रुक रहे थे. दरअसल, फांसी की सजा पाये निर्भया मामले के चार दोषियों में शामिल विनय शर्मा और पवन गुप्ता की माताएं शुक्रवार को अपने घरों में चुप और उदास दिखीं. इसकी आंखों से आंसू के धार नहीं रुक रहे थे और वे फूट-फूटकर रो रहीं थीं.

दक्षिण दिल्ली के झुग्गी इलाके रविदास कैंप से कुछ ही किलोमीटर दूर तिहाड़ जेल में इनके बेटों को सुबह 5:30 बजे फांसी दी गयी और ये दोनों अपने घरों के बाहर बेटों के शव का इतंजार करती रहीं. ये दोनों दोषी उन छह लोगों में शामिल थे, जिन्होंने 16 दिसंबर 2012 को एक 23 वर्षीय युवती से बलात्कार किया था, जिसके करीब एक पखवाड़े बाद उसकी मौत हो गयी. शुक्रवार दोपहर को रविदास कैंप इलाके में पुलिसबल तैनात दिखा. पड़ोसियों ने भी गुस्सा जाहिर किया.

कॉलोनी में जाने वाले मुख्य संकरे रास्ते को ठेलों से बंद किया गया था और पड़ोस के लोग सुरक्षात्मक रूप से दोनों महिलाओं के आसपास खड़े थे. पवन की मां आसमान को ताक रही थी और उसके आंसू बह रहे थे. विनय की मां भी उसके बगल में चुप बैठी थी और लंबे समय से उनके पड़ोस में रहने वाले लोग सांत्वना दे रहे थे. शोकाकुल मां के बगल में बैठी एक महिला ने कहा, कि इतने साल कोई हमारा दुख जानने नहीं आया, अब क्यों आ रहे हैं… इस कालोनी में एक नाबालिग समेत चार दोषियों के घर हैं. इनमें से एक दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि नाबालिग को बाल सुधार गृह में कुछ समय रखा गया था. राम सिंह और मुकेश सिंह की विधवा मां इलाका छोड़कर राजस्थान चली गयी थी.

खूब रोये दोषी, मांगी माफी, नहीं बतायी आखिरी इच्छा

निर्भया के दोषियों को शुक्रवार सुबह फांसी दे दी गयी. फांसी से पहले निर्भया के दोषी खौफ में थे. फांसी के लिए ले जाते वक्त चारों दोषियों के चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता था. इस दौरान एक दोषी घबरा भी गया और वहीं फांसी घर में लेट गया. हालांकि, फांसी से पहले कुछ प्रक्रियाएं होती हैं जो पूरी करनी होती हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. न दोषियों ने सुबह स्नान किया और न ही नाश्ता किया. उनका व्यवहार भी अजीब रहा. चारों दोषियों में से दो ने बीती रात भोजन तो किया लेकिन चारों में से किसी ने शुक्रवार की सुबह फांसी से पहले नाश्ता नहीं किया. चारों दोषियों ने फांसी दिये जाने से पहले कोई आखिरी इच्छा जाहिर नहीं की.

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