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Manipur Violence: मणिपुर में अब कैसे हैं हालात? हिंसाग्रस्त क्षेत्र से 23,000 लोगों को बाहर निकाला गया

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, मणिपुर में हिंसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंसा दो जातियों के बीच हो रही है. हम उनसे बात कर रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा आज तीन घंटे के लिए कर्फ्यू हटा लिया गया, स्थिति नियंत्रण में है और हम क्षेत्र में शांति की कामना करते हैं.

Manipur Violence: मणिपुर के हिंसा प्रभावित हिस्सों में रविवार को कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दी गयी. जिसके बाद आम जनजीवन पटरी पर लौटता दिखाई दिया. वहीं, सेना के ड्रोन और होलीकॉप्टर हवा में गश्त लगाकर क्षेत्र पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. सेना के जवानों ने अबतक हिंसा प्रभावित इलाकों से करीब 23 हजार लोगों को बाहर निकाला और उन्हें सुरक्षित सैन्य छावनियों में स्थानांतरित किया गया है. मालूम हो हिंसा में 54 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है.

गृह मंत्री अमित शाह लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, मणिपुर में हिंसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंसा दो जातियों के बीच हो रही है. हम उनसे बात कर रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा आज तीन घंटे के लिए कर्फ्यू हटा लिया गया, स्थिति नियंत्रण में है और हम क्षेत्र में शांति की कामना करते हैं. उन्होंने कहा, गृह मंत्री अमित शाह लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं. हिंसा से कुछ हासिल नहीं हो सकता. मैं लोगों से आगे आने और शांति से मुद्दों को हल करने का आग्रह करता हूं. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा, मणिपुर में स्थिति नियंत्रण में है और उस स्थिति को संभालने के लिए पीएम को व्यक्तिगत रूप से वहां उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है.

सुबह दो घंटे कर्फ्यू में दी गयी ढील

अधिकारियों ने बताया कि हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर इलाके में सुबह सात से 10 बजे के बीच कर्फ्यू में ढील दी गई और इस दौरान खाद्य पदार्थ, दवाइयां व अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले. अधिकारियों के मुताबिक, सुबह 10 बजे कर्फ्यू में ढील की मियाद खत्म होने के बाद सेना और असम राइफल्स के जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया. हिंसा प्रभावित राज्य में सेना के 120 से 125 ‘कॉलम’ की तैनाती की गई है. मणिपुर में अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस बलों के करीब 10,000 जवानों को भी तैनात किया गया है.

मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा

गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी. नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था. पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया. मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई.

मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी

मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है. इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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