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मणिपुर हिंसा: सेना और असम राइफल्स ने किया फ्लैग मार्च, 7500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया

सेना और असम राइफल्स के जवानों ने चुराचंदपुर के खुगा, टाम्पा, खोमौजनब्बा क्षेत्रों, इंफाल के मंत्रीपुखरी, लम्फेल, कोइरंगी क्षेत्र और काकचिंग जिलों के सुगनू में फ्लैग मार्च और हवाई सर्वेक्षण किया.

Manipur Violence: मणिपुर में आदिवासियों के आंदोलन के दौरान हिंसा भड़कने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स को तैनात किया गया है. बताया जा रहा है कि बुधवार रात में सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया था और राज्य पुलिस के साथ बलों ने सुबह तक हिंसा पर नियंत्रण पा लिया. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है.

हिंसा प्रभावित क्षेत्र में सेना और राइफल्स के जवानों किया फ्लैग मार्च

सेना और असम राइफल्स के जवानों ने चुराचंदपुर के खुगा, टाम्पा, खोमौजनब्बा क्षेत्रों, इंफाल के मंत्रीपुखरी, लम्फेल, कोइरंगी क्षेत्र और काकचिंग जिलों के सुगनू में फ्लैग मार्च और हवाई सर्वेक्षण किया. कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के कुल 55 बटालियन तैनात किए गए हैं. शॉर्ट नोटिस पर तैनाती के लिए अतिरिक्त 14 बटालियन भी स्टैंड-बाय पर रखे गए हैं.

हिंसा प्रभावित मणिपुर से 7500 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया

अब तक 7,500 लोगों को सुरक्षाबलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. और भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

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मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग

मणिपुर की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई. पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में मेइती समुदाय के लोगों ने भी हमले किए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई.

हिंसा में कई दुकानों में की गयी आगजनी

बताया जा रहा है कि तोरबंग में तीन घंटे से अधिक समय तक हुई हिंसा में कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ के साथ ही आगजनी की गई. लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, संपत्ति के नुकसान के अलावा कीमती जानें चली गई हैं, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. पुलिस ने बताया कि कांगपोकपी जिले के मोटबंग इलाके में बीस से अधिक घर भी जलकर खाक हो गए.

हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया कर्फ्यू, इंटरनेट सेवा ठप

एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और विष्णुपुर जिलों तथा आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पांच दिन के लिए निलंबित कर दी गईं हैं.

500 से अधिक लोग घर छोड़कर भागे

पुलिस ने कहा कि इंफाल पश्चिम में कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घरों से भाग गए हैं और वर्तमान में लम्फेलपत में सीआरपीएफ शिविर में रह रहे हैं. आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले के करीब 1,000 मेइती क्वाक्ता और मोइरांग सहित बिष्णुपुर जिले के विभिन्न इलाकों में भाग गए.

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