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Kanpur Encounter: विकास दुबे का एनकाउंटर ही नहीं, देश के इन सात चर्चित मुठभेड़ पर भी उठे सवाल

Vikas dubey Encounter, Kanpur Encounter, Fake Encounter: कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या केस का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में मारा गया. पुलिस के मुताबिक, यूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर पहुंच रही थी, जहां गाड़ी पलटने के बाद विकास ने भागने की कोशिश की.

Vikas dubey Encounter, Kanpur Encounter, Fake Encounter: कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या केस का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में मारा गया. पुलिस के मुताबिक, यूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर पहुंच रही थी, जहां गाड़ी पलटने के बाद विकास ने भागने की कोशिश की. इसी दौरान एनकाउंटर हुआ और विकास दुबे मारा गया. एक ओर जहां पुलिस की इस कार्रवाई को लोगों की सराहना मिल रही है, वहीं कई लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं.

सराहना करने वाले लोग इसे न्याय से जोड़ कर देख रहे हैं तो सवाल उठाने वाले लोग इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं. कुछ लोग इसे फेक एनकाउंटर तक करार दे रहे हैं. प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष विकास दुबे मुठभेड़ मामले में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठा रहा है. देश भर में यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी पुलिस एनकाउंटर पर सवाल उठे हैं. इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं, जिसमें पुलिसिया कार्रवाई सवालों के घेरे में रही हैं.

हैदराबाद एनकाउंटर

बीते वर्ष छह दिसंबर को हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर के गैंगरेप और मर्डर के चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. हैदराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने एनकाउंटर की पुष्टि करते हुए बताया था कि ये घटना मौक़ा-ए-वारदात पर क्राइम सीन दोहराने के क्रम में हुई. पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों ने मौक़े से भागने की कोशिश की थी. जिसके बाद उन्हें ढेर कर दिया गया. इस मुठभेड़ के बाद देश में कई जगह जश्न मनाया गया था.हालांकि कई सवला भी उठे थे.

इशरतजहां एनकाउंटर

साल 2004 में हुए एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां और उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताते हुए ढेर कर दिया था. इशरत जहां केस में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया .

तब गुजरात पुलिस ने दावा किया कि इन कथित चरमपंथियों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से था और ये लोग गोधरा दंगों का बदला लेने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बना रहे थे. पूर्व डीजीपी पीपीपी पांडेय को बीते साल सीबीआई अदालत ने इस मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. यह मामला कई वर्षों तक राजनीति के केंद्र में रहा.

बाटला हाउस एनकाउंटर

19 सितंबर 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस के मकान नंबर एल-18 के फ्लैट में दिल्ली पुलिस के एनकाउंट को लेकर भी सवाल उठे थे. दिल्ली पुलिस को सूचना मिली थी कि दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में शामिल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं. सूचना के बाद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा, स्पेशल सेल के एसआई राहुल कुमार सिंह अपनी टीम लेकर बाटला हाउस पहुंच गए. पुलिस को वहां आतिफ और शहजाद के होने की खबर थी.

एसआई राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम ने जैसे ही फ्लैट का दरवाजा खोला आतंकियों ने फायरिंग कर दी. लगभग 10 मिनट की फायरिंग में 3 आतंकियों को पुलिस ने ढेर कर दिया, जबकि आरिज और शहजाद भागने में सफल रहे. वहीं इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए. एक कांस्टेबल को गोली लगी. बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर बताकर इसपर सवाल खड़े किए गए. इस एनकांउटर को लेकर एक फिल्म भी बनी है.

सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर

साल 2005 में गुजरात के अहमदाबाद में राजस्थान और गुजरात पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया. वहीं उसके बाद उसके साथी तुलसी प्रजापति का भी एनकाउंटर कर दिया गया. सोहराबुद्दीन शेख पर 2003 में गुजरात के गृहमंत्री हरेन पंड्या की हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप था. पुलिस को उसकी तलाश थी, लेकिन वो फरार था. मीडिया रिपोर्टों में सोहराबुद्दीन शेख़ को अंडरवर्ल्ड का अपराधी बताया गया था. 2007 में अहमदाबाद कोर्ट में पेशी पर ले जाते समय तुलसी को उसके साथी छुड़ाकर ले जाने आए थे. इसी दौरान हुई मुठभेड़ में तुलसी मारा गया था.

मध्य प्रदेश में 8 सिमी आतंकियों का एनकाउंटर

2016 में भोपाल की सेंट्रल जेल से 30-31 अक्टूबर की रात भागे आठ सिमी ( स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) आतंकियों को पहाड़ी पर घेरकर पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. आतंकियों ने जेल से भागते वक्त एक कांस्टेबल का मर्डर भी किया था. इसके बाद चादर की रस्सी के सहारे फरार हो गए थे. बाद में इन आंतकियों को एक पहाड़ी के पास घेरा गया था. पुलिस के अनुसार दोनों तरफ से गोलीबारी हुई थी, जिसमें सभी फरार कैदियों को मार गिराया गया था.

आंध्र प्रदेश स्मगलर एनकाउंटर

सात अप्रैल 2015 को आंध्र प्रदेश की पुलिस ने राज्य के चित्तूर जंगल में 20 कथित चंदन तस्करों को गोली मार दी थी. पुलिस का कहना था कि पुलिसकर्मियों पर हंसियों, छड़ों, कुल्हाड़ियों से हमला किया गया और बार बार चेतावनी देने के बावजूद हमले जारी रहे. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले पर ध्यान दिया और इसकी जांच की. आयोग ने आंध्र प्रदेश सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया और इसकी सीबीआई जांच कराने की बात कही थी.

दारा सिंह एनकाउंटर

जयपुर के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने 23 अक्टूबर 2006 को दारा सिंह का एनकाउंटर किया था. दारा सिंह उर्फ दारिया राजस्थान के चुरू का रहने वाला था. उसके खिलाफ अपहरण, हत्या, लूट, शराब तस्करी और अवैध वसूली से जुड़े करीब 50 मामले दर्ज थे. इस एनकाउंटर से कई नेताओं के नाम जोड़े गए थे. एनकाउंटर से पांच दिन पहले पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था. दारा सिंह की पत्नी सुशीला देवी ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी थी.

Posted By: Utpal kant

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