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मार्च में केजरीवाल किसानों के समर्थन में आप की किसान महासभा को करेंगे संबोधित

सोमवार को आप के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, पार्टी के पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह और सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की. आप नेताओं ने कहा कि किसान महासम्मेलन में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और पंजाब के सभी हिस्सों के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा.

आम आदमी पार्टी किसानों और उनके आंदोलन के समर्थन में 21 मार्च को पंजाब में किसान महासम्मेलन आयोजित करेगी. पंजाब के बाघा पुराना में आयोजित होने वाले सम्मेलन को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल संबोधित करेंगे.

सोमवार को आप के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, पार्टी के पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह और सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की. आप नेताओं ने कहा कि किसान महासम्मेलन में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और पंजाब के सभी हिस्सों के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा.

मीडिया को संबोधित करते हुए आप नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी चाहती है कि काले कृषि कानूनों को तुरंत रद्द किया जाए. इस महा सम्मेलन के माध्यम से केन्द्र की मोदी सरकार को संदेश भेजा जाएगा कि वह तुरंत किसानों की बात माने और काले कानूनों को निरस्त करे.

उन्होंने कहा कि आप पहली पार्टी है जिसने काले कृषि कानूनों से संबंधित मुद्दे को उजागर किया और बताया कि इसके परिणाम राज्य के किसानों के लिए हानिकारक होंगे. पार्टी ने पंजाब के गांवों में सार्वजनिक बैठकें कीं ताकि लोगों को काले खेती कानूनों और उसके परिणामों के बारे में बताया जा सके. आप ने पंजाब की पंचायतों को ग्राम सभा बुलाने और इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रेरित किया. आम आदमी पार्टी किसान आंदोलन का समर्थन करने वाली पहली पार्टी है.

आप नेताओं आप ने किसानों के पक्ष में लोहड़ी मनाई और केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियों को विरोध करते हुए जलाया. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया था और केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियां फाडक़र मोदी सरकार के फैसले का विरोध किया था. आप सांसद भगवंत मान और संजय सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने काले खेती कानूनों का विरोध किया.

इसके अलावा, जब किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए थे और कड़ाके की ठंड में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आप कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन को मजबूत करने और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए ‘सेवादार’ के रूप में दिन-रात काम किया. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने संघर्षरत किसानों के लिए शौचालय, गर्म पानी, भोजन और कई अन्य सेवाओं की व्यवस्था की.

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं को देखने के लिए किसानों से दो बार मुलाकात की और इसी विचारधारा को जारी रखते हुए आम आदमी पार्टी मार्च में किसानों के समर्थन में किसान महासभा बुलाएगी. पंजाब में पारंपरिक दलों पर निशाना साधते हुए आप नेताओं ने कहा कि कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा तीनों ने राज्य के किसानों के साथ विश्वासघात किया है.

उन्होंने कहा कि तीनों ने पहले साथ मिलकर काले खेती कानूनों को पारित किया और अब यह बताने के लिए मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं कि वे किसान समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि ये पार्टियां कभी भी किसान हितैषी नहीं रही हैं.

2013 में स््रष्ठ सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट 2013 पारित किया था, जिसने सरकार और निजी खिलाडिय़ों को पंजाब के किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने का कानून बनाया था. बाद में 2017 में, कैप्टन अमरिंदर सरकार ने एपीएमसी संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसमें फलों और सब्जियों की खरीद का निजीकरण किया गया था, जिसके प्रभाव अभी भी देखे जा रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय से अकाली दल कृषि बिल के समर्थन में था. सुखबीर बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल दोनों के पास इन बिलों को रोकने की शक्ति थी, जब वे भाजपा के साथ गठबंधन में थे, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया. इसी तरह कैप्टन अमरिंदर हाई पावर कमेटी का हिस्सा थे, जिसने इन कानूनों का मसौदा तैयार किया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई.

जब किसान इस कानून के विरोध में दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे तो इनमें से किसी भी दल ने किसानों की मदद नहीं की. किसानों पर पानी के फव्वारे चलाए गए, लाठियां बरसाए गए, उनपर मानहानि के मुकदमें दायर किए गए लेकिन इन दलों के नेताओं ने एक शब्द भी नहीं कहा.

उन्होंने कहा कि अब ये सभी दल किसान आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं. मोदी सरकार और कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कटाक्ष करते हुए आप नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने 26 जनवरी की रैली को हिंसक प्रदर्शन में बदलकर किसानों को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया.

26 जनवरी के बाद जब राज्य के कई युवा लापता हो गए तो कैप्टन अमरिंदर ने उन्हें वापस लाने या उनकी स्थिति जानने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. अब वे आंदोलन को खत्म करवाने के लिए किसान यूनियनों से अपील कर रहे हैं कि वे केंद्र सरकार के प्रस्तावों को स्वीकार करें. यह बिल्कुल शर्मनाक है.

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आप नेताओं ने कहा कि रैली की तैयारी शुरू हो चुकी है और मार्च में पंजाब में एक नई जागृति दिखाई देगी. रैली के माध्यम से इन दलों के पाखंड का पर्दाफाश होगा. उन्होंने कहा कि किसान विरोधी पार्टियां किसान आंदोलन को पटरी से उतारने की नापाक कोशिश को कभी भी सफल नहीं होने देगी. ‘आप’ किसानों के आंदोलन को मजबूत बनाएगी. ये पारंपरिक दल चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, किसान आंदोलन को कुचल नहीं सकते.

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