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President Election 2022: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? जानिए पूरा प्रोसेस

देश में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. इसी बीच सबके मन में ये ख्याल होगा कि आखिर ये चुनाव होता कैसे है. कौन-कौन वोट दे सकते हैं. चलिए बताते है इसका पूरा प्रोसेस

President Election 2022: भारत में राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च नागरिक होते हैं. वहीं उप-राष्ट्रपति का दूसरा सर्वोच्च नागरिक होता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. ऐसे में चुनाव आयोग ने 16वें राष्ट्रपति के चुनाव का एलान कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा. वहीं इसके लिए 15 जून को अधिसूचना जारी होगी. 29 जून को नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है. मतदान 18 जुलाई को होगा और मतगणना 21 जुलाई को होगी. राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जटिल है. यह लोकसभा या विधानसभाओं के चुनावों के बिल्कुल विपरीत है. आइए समझते हैं कि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है.

राष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?

राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों की ओर से किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, दिल्ली और पुडुचेरी (दोनों केंद्र शासित प्रदेश) सहित राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं. संसद के किसी भी सदन या विधानसभाओं के लिए मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं. भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, निर्वाचक मंडल लोकसभा के 543 सदस्यों, राज्यसभा के 233 सदस्यों और विधानसभाओं के 4120 सदस्यों – कुल 4896 मतदाताओं से बना है.

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चुनाव आयोग ने कहा कि प्रत्येक सांसद (लोकसभा और राज्यसभा) के वोट का मूल्य 708 तय किया गया है. राज्यों में, विधानसभा की ताकत और संबंधित राज्यों में जनसंख्या के कारण विधायकों के वोट का मूल्य अलग होता है. चुनाव प्रक्रिया में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के पैमाने में एकरूपता निर्धारित करने के लिए, प्रत्येक राज्य की जनसंख्या पर आधारित एक सूत्र का उपयोग उन सदस्यों के वोट के मूल्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जो वोट देने के योग्य हैं. इसलिए, उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होगा, जो कि सभी राज्यों में सबसे अधिक है. उत्तर प्रदेश विधानसभा के मतों का कुल मूल्य 83,824 (208 x 403) होगा.

ये है प्रोसेस

लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के लिए, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वोटों के कुल मूल्य को सांसदों की कुल संख्या (निर्वाचित) से विभाजित किया जाता है, ताकि प्रति सांसद वोटों का मूल्य प्राप्त हो सके. ECI के अनुसार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वोटों का कुल मूल्य 5,43,231 है. इसलिए, सांसदों के वोटों का कुल मूल्य 5,43,200 (700 x 776) होगा. 4,809 निर्वाचकों वाले निर्वाचक मंडल का कुल मूल्य 10,86,431 (5,43,200 + 5,43,231) होगा. जीतने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित होने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत प्लस एक वोट प्राप्त करना होता है.

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कैसे होती है वोटों की गिनती

अन्य चुनावों के जैसे इसमें विजेता वह नहीं है, जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले हैं, बल्कि एक उम्मीदवार को केवल तभी विजेता घोषित किया जा सकता है, जब उसे निर्धारित कोटे से अधिक वोट मिले हों. वहीं वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है. दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है. विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी आबादी देखी जाती है और उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या देखी जाती है. वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है, उसे फिर एक हजार से भाग दिया जाता है. अब जो आंकड़ा आता है वही उस राज्य के वोट का वेटेज होता है.

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