Himachal Cloudburst: हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून में बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क हादसों में अब तक 366 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, इन 366 लोगों में से 203 की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई, जिनमें 42 मौतें भूस्खलन, 17 बादल फटने और नौ अचानक आई बाढ़ में हुईं. स्थानीय मौसम केंद्र ने सोमवार को राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में आंधी-बारिश की आशंका को लेकर ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है.
हिमाचल में 20 जून के बाद 135 बड़े भूस्खलन, 95 बाढ़ और 45 बादल फटने की घटना हो चुकी है
एसईओसी के मुताबिक, 41 लोग अभी भी लापता हैं और 163 मौतें दुर्घटनाओं में हुईं. उसने बताया कि कुल 6025 घर और 455 दुकानें/कारखाने पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं. भूस्खलन की घटनाएं हर दिन बढ़ रही हैं और 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से राज्य के कई हिस्सों में 135 बड़े भूस्खलन, 95 अचानक बाढ़ और 45 बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है.
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भूस्खलन और बाढ़ की वजह से 869 सड़कें बंद
तीन राष्ट्रीय राजमार्गों-एनएच-3 (मंडी-धरमपुर रोड), एनएच-5 (ओल्ड हिंदुस्तान-तिब्बत रोड) और एनएच-305 (औट-सैंज रोड) सहित कुल 869 सड़कें यातायात के लिए अवरुद्ध हैं और 1,572 बिजली ट्रांसफार्मर तथा 389 जलापूर्ति परियोजनाएं बाधित हैं. कुल्लू क्षेत्र में सबसे अधिक 227 सड़कें बंद हैं. इसके बाद मंडी में 191, शिमला क्षेत्र में 154 और चंबा क्षेत्र में 116 सड़कें बंद हैं.
17 तीर्थयात्रियों की हो चुकी है मौत
अधिकारियों ने बताया कि 15 अगस्त को मणिमहेश यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 17 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. हिमाचल प्रदेश में एक जून से छह सितंबर तक सामान्य (648.1 मिलीमीटर) से 46 प्रतिशत अधिक (943.2 मिलीमीटर) बारिश हुई है.

