Education: देश में बने नये एम्स और सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों के रिक्त पद भरने, नीट की यूजी और पीजी परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, मेडिकल छात्रों के लिए ‘वन नेशन वन स्टाइपेंड नीति’ और अन्य मांगों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को ज्ञापन सौंपा. एबीवीपी अखिल भारतीय चिकित्सा छात्र आयाम ‘मीडिविजन’ के माध्यम से देशभर के मेडिकल एवं डेंटल छात्रों से संवाद कर शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों को स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष रखा. ज्ञापन में आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सुधारों पर विशेष जोर देने की मांग की गयी.
एबीवीपी की मांग है कि पीजी रेजिडेंट एवं इंटर्नशिप की कार्य अवधि को नियमित किया जाए. सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिक्षण काम से जुड़े रिक्त पदों को तत्काल भरने, नीट-पीजी, एमडीएस के प्रश्न-पत्र और उत्तर कुंजी परीक्षा के बाद सार्वजनिक करने और वन नेशन, वन स्टाइपेंड नीति लागू कर पूरे देश में स्टाइपेंड की असमानताओं को समाप्त करने की मांग की गयी.
प्रतिनिधि मंडल ने यह भी सुझाव दिया है कि नीट-पीजी, एमडीएस वर्ष में दो बार आयोजित हो, राज्यों में अंतिम वर्ष की पढ़ाई व इंटर्नशिप को समन्वित किया जाए. साथ ही मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में गुणवत्ता और शोध को सुनिश्चित करने के लिए नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल(एनएएसी) जैसी ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाए.
आत्महत्या पर रोक के लिए बने उच्च-स्तरीय समिति
स्वास्थ्य मंत्री को सौंपे ज्ञापन में एबीवीपी ने नेशनल मेडिकल काउंसिल(एनएमसी) में छात्रों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करने, छात्रों की आत्महत्याओं की गंभीर समस्या पर उच्च स्तरीय समिति गठित करने और पिछड़े क्षेत्रों में सरकारी डेंटल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की मांग की. स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सरकार से अनावश्यक सी-सेक्शन डिलीवरी पर रोक लगाने, निजी अस्पतालों में चिकित्सा शुल्क पर नियंत्रण रखने, चिकित्सा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण एवं सीमावर्ती क्षेत्रों के प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त डॉक्टरों व बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉक्टर वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि हमारा मानना है कि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार ही आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत की नींव हैं. नीति-निर्माण में मेडिकल छात्रों की आवाज़ सुनी जानी चाहिए और उनके हितों की रक्षा पारदर्शी शैक्षणिक संरचनाओं व स्टाइपेंड व्यवस्था से होनी चाहिए. इन सुधारों के जरिये भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र समान, पारदर्शी और आत्मनिर्भर बन सकेगा, जिससे हम आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत 2047 का लक्ष्य हासिल करने में सफल होंगे.

