16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दहेज में मुस्लिम महिला को मिला सामान लौटाना जरूरी

Muslim Woman Divorced : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं से जुड़े कानून में उनकी गरिमा को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि शादी के समय महिला के परिवार की ओर से दूल्हे पक्ष को दिए गए सामान को महिला की संपत्ति माना जाएगा.

Muslim Woman Divorced : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले 1986 के कानून में समानता, गरिमा और स्वायत्तता को सबसे जरूरी माना जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के अनुभवों को समझना जरूरी है, क्योंकि छोटे शहरों और गांवों में आज भी पितृसत्तात्मक भेदभाव आम है. न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ एक महत्वपूर्ण सवाल पर विचार कर रही थी, क्या शादी के समय किसी मुस्लिम महिला के पिता द्वारा उसे या दूल्हे को दिए गए सामान को, तलाक के बाद शादी खत्म होने पर, कानून के तहत महिला को वापस दिया जा सकता है? अदालत ने इसी संदर्भ में ये टिप्पणियां कीं.

कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को किया गया रद्द

शीर्ष कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक महिला के पूर्व पति के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. उसे (पति को) उस सामान का कुछ हिस्सा वापस करने से राहत दी गई थी, जिसके बारे में महिला पक्ष ने दावा किया था कि यह सामान पुरुष को उनकी शादी के समय दिया गया था.यह मामला मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा-3 के तहत दायर किया गया। इस मामले में 17.67 लाख रुपये से अधिक राशि वापस किए जाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था.

मामले में दो व्याख्याओं की संभावना

मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले में दो व्याख्याओं की संभावना है और यह स्थापित नियम है कि यह न्यायालय संविधान के अनुच्छेद-136 के तहत प्राप्त व्यापक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केवल इस आधार पर हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करता कि दो अलग-अलग दृष्टिकोण संभव हैं. पीठ ने कहा कि यह अपवाद इस मामले में लागू नहीं होता, क्योंकि हाई कोर्ट उद्देश्यपरक व्याख्या के सिद्धांत पर विचार करने में विफल रहा और उसने इस मामले का केवल एक दिवानी विवाद के रूप में निपटारा किया.

सुनवाई के दौरान पीठ ने क्या कहा

पीठ ने कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए एक आकांक्षा यानी समानता निर्धारित करता है, जिसे वास्तव में प्राप्त किया जाना अभी बाकी है. न्यायालयों को इस दिशा में अपना योगदान देते हुए अपने तर्क को सामाजिक न्याय से प्रेरित निर्णय पर आधारित करना चाहिए. पीठ ने कहा कि संदर्भ दिया जाए तो 1986 के अधिनियम का उद्देश्य एक मुस्लिम महिला को तलाक के बाद गरिमा और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है, जो संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्रदत्त उसके अधिकारों के अनुरूप है.

यह भी पढ़ें : भारत के किस राज्य में होता है सबसे ज्यादा तलाक? यूपी और बिहार…

आगे पीठ ने कहा कि लिहाजा इस अधिनियम की व्याख्या करते समय समानता, गरिमा एवं स्वायत्तता को सर्वोपरि रखना आवश्यक है और इसे महिलाओं के जीवन के वास्तविक अनुभवों के प्रकाश में देखा जाना चाहिए, क्योंकि खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अंतर्निहित पितृसत्तात्मक भेदभाव आज भी व्यापक रूप से मौजूद है. शीर्ष अदालत ने महिला की अपील को स्वीकार कर लिया और हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.

Ravi Shastri Podcast
Ravi shastri podcast
Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel