Delhi Blast: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में डॉक्टरों के नेतृत्व वाले जिस ‘वाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, वह पिछले साल से एक्टिव था. यह मॉड्यूल एक आत्मघाती हमलावर की तलाश में एक साल से जुड़ा था. इसमें सबसे खास भूमिका और साजिशकर्ता था डॉ. उमर नबी, जो एजेंडे को लगातार आगे बढ़ा रहा था. अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार सह-आरोपी ने पूछताछ में कबूला है कि डॉ. उमर ‘घोर कट्टरपंथी’ था और वह लगातार इस बात पर जोर देता था कि उनके अभियान की सफलता के लिए एक आत्मघाती हमलावर जरूरी था. श्रीनगर पुलिस ने डॉ. अदील राथर और डॉ. मुजफ्फर गनई सहित अन्य सह-आरोपियों से पूछताछ के बाद जो बात सामने आई उसके बाद अपनी एक टीम को तत्काल दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड भेजा और जसीर उर्फ दानिश को हिरासत में ले लिया.
दानिश ने साल भर पहले की थी डॉक्टर मॉड्यूल से मुलाकात
अधिकारियों ने बताया हिरासत में लिए गए आरोपी ने पिछले साल अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में डॉक्टर मॉड्यूल से मुलाकात की की थी और उसने मुलाकात की बात स्वीकार भी की है. इसके बाद उसे फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में किराये के एक कमरे में ले जाया गया. अधिकारियों के मुताबिक, हिरासत में लिए गए व्यक्ति ने बताया कि मॉड्यूल से जुड़े अन्य लोग उसे प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के लिए ओवर-ग्राउंड वर्कर (आतंकवादियों का बाहर से मदद करने वाला) बनाना चाहते थे. इस बीच डॉ. उमर ने उसे कई बार आत्मघाती हमलावर बनने के लिए मोटिवेट किया.
फेल हो गई डॉक्टर मॉड्यूल की योजना
हालांकि, डॉ. उमर और मॉड्यूल से जुड़े अन्य सदस्यों की योजना इस साल अप्रैल में फेल हो गई. दानिश ने अपनी खराब माली हालत और इस्लाम में खुदकुशी वर्जित होने की बात का हवाला देते हुए आत्मघाती हमलावर बनने से पीछे हट गया. अधिकारियों के अनुसार, आत्मघाती हमलावर की तलाश की योजना फिर से शुरू की गई. डॉ. उमर कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले नेटवर्क का सबसे कट्टरपंथी सदस्य था. वो छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के आसपास एक शक्तिशाली कार बम विस्फोट की साजिश रच रहा था. इसी कड़ी में अधिकारियों ने साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ते हुए बताया कि डॉ. उमर की साजिश दिल्ली या किसी धार्मिक महत्व के स्थान पर भीड़भाड़ वाली जगह पर विस्फोटकों से भरा वाहन छोड़कर गायब होने की थी.
डॉ. नबी बनने लगा कट्टरपंथी, जमा करने लगा था विस्फोटक
अधिकारियों ने पूछताछ के आधार पर बताया कि डॉ. उमर साल 2021 में सह-आरोपी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनी के साथ तुर्किये की यात्रा के बाद कट्टरपंथी होना शुरू कर दिया था. यहीं पर दोनों कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के ओजीडब्ल्यू से मिले थे. अधिकारियों के मुताबिक, सह-आरोपी ने बताया कि अल-फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले डॉ. उमर और गनई ने तुर्किये की यात्रा के बाद खुले बाजार से भारी मात्रा में रसायन इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जिसमें 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल था और इनका अधिकांश हिस्सा विश्वविद्यालय परिसर के पास सहेजकर रखा गया था.
गनई की गिरफ्तारी से नाकाम हो गई विस्फोट की साजिश
अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर में बड़े विस्फोट की साजिश थी लेकिन वो नाकाम हो गई. दरअसल श्रीनगर पुलिस की गहन जांच में गनई गिरफ्तार हो गया. पुलिस ने विस्फोटकों को भी जब्त कर लिया. पुलिस का अनुमान है कि इस घटना से डॉ. उमर शायद डर गया और उसने 10 नवंबर को लाल किले के पास विस्फोट की घटना घटी. अधिकारियों के अनुसार 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर दिखने की एक छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण घटना के बाद इस जटिल अंतरराज्यीय आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ. (इनपुट- भाषा)
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