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Defense: ऑपरेशन सिंदूर ने मेक इन इंडिया निर्मित रक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने का किया काम

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए एएमसीए कार्यक्रम के क्रियान्वयन मॉडल को मंजूरी देना साहसिक और निर्णायक कदम है. इससे घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नयी गति मिलेगी. एएमसीए परियोजना के तहत पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद इसका उत्पादन किया जाएगा.

Defense: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेक-इन-इंडिया निर्मित हथियारों का प्रदर्शन शानदार रहा. स्वदेशी निर्मित हथियार प्रणाली की चर्चा वैश्विक स्तर पर हो रही है. इस सफलता के बाद भारत सरकार स्वदेशी निर्मित हथियारों के निर्माण को और तेज  गति से आगे बढ़ाने का काम करेगी. अब भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का निर्माण भी होगा. इसके लिए एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी है. इस कार्यक्रम में निजी कंपनियों को भी भागीदार बनाया जायेगा. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए एएमसीए कार्यक्रम के क्रियान्वयन मॉडल को मंजूरी देना साहसिक और निर्णायक कदम है. इससे घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नयी गति मिलेगी. एएमसीए परियोजना के तहत पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद इसका उत्पादन किया जाएगा. 

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेक-इन-इंडिया की सफलता पर कहा कि अगर देश ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत नहीं किया होता, तो भारतीय सेना पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर सकती. सुरक्षा और समृद्धि के लिए मेक-इन-इंडिया बेहद जरूरी है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के इस्तेमाल ने साबित कर दिया है कि देश दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की ताकत रखता है. 

रक्षा क्षेत्र में भारत की बन रही है वैश्विक पहचान


रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए है. सरकार के प्रयास के कारण कई रक्षा उपकरणों का स्वदेशी निर्माण करने का फैसला लिया गया. सरकार के प्रयास का परिणाम है कि यूपीए सरकार के दौरान  रक्षा उत्पादन लगभग 43000 करोड़ रुपये था, वह आज काफी बढ़ गया है. इस मामले में सिर्फ निजी क्षेत्र द्वारा 32,000 करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन हो रहा है और कुल रक्षा उत्पादन 1.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. यही नहीं रक्षा निर्यात जो 10 साल पहले लगभग 600-700 करोड़ रुपये था, मौजूदा समय में 24000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है.

हथियार, प्रणालियां, उप-प्रणालियां, घटक और सेवाएं लगभग 100 देशों तक पहुच रही हैं. रक्षा क्षेत्र से जुड़े 16000 से अधिक एमएसएमई आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ बन गए हैं. यह कंपनियां न केवल देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत कर रही हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं. देश अब सिर्फ लड़ाकू विमान और मिसाइल प्रणाली ही नहीं बना रहा है, बल्कि वह नए युग की युद्ध तकनीक के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है.  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर डिफेंस, मानवरहित सिस्टम और अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा के क्षेत्र में देश की प्रगति को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है.

देश में इंजीनियरिंग और भविष्य की तकनीकों के लिए विकास केंद्र बनने की क्षमता है. कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर कामत, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमण्यम, सीआईआई के अध्यक्ष  संजीव पुरी और उद्योग जगत के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे. 

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