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Corona vaccine update news : कोरोना वैक्सीन में सुअर के मांस का इस्तेमाल,चर्चा शुरू

corona vaccine update पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रही है. कोरोना वैक्सीन को लेकर इस बीच एक अलग बहस छिड़ गयी है. corona vaccine update news in india कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा और उसके प्रभाव को बनाये रखने के लिए सुअर के मांस से बने जिलेटिन का बड़ी संख्या में इस्तेमाल हो रहा है pork meat in corona vaccine हालांकि कई कंपनियां सुअर के मांस का इस्तेमाल किये बगैर वैक्सीन बनाने पर काम कर रहीं है लेकिन अबतक बहुत कम कंपनियों में इसमें सफलता पायी है. pork meat in corona vaccine in hindi

पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रही है. कोरोना वैक्सीन को लेकर इस बीच एक अलग बहस छिड़ गयी है. कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा और उसके प्रभाव को बनाये रखने के लिए सुअर के मांस से बने जिलेटिन का बड़ी संख्या में इस्तेमाल हो रहा है हालांकि कई कंपनियां सुअर के मांस का इस्तेमाल किये बगैर वैक्सीन बनाने पर काम कर रहीं है लेकिन अबतक बहुत कम कंपनियों में इसमें सफलता पायी है. कोरोना वैक्सीन में सुअर के मांस का इस्तेमाल से जुड़ी हर Latest News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.

अब सुअर के मांस का इस्तेमाल कर तैयार किये गये कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर मुस्लिम धर्म गुरुओं के बीच असमंजस की स्थिति है, कई धार्मिक समूहों द्वारा प्रतिबंधित सुअर के मांस से बने उत्पादों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण अभियान के बाधित होने की आशंका जतायी जा रही है. टीकों के भंडारण और ढुलाई के दौरान उनकी सुरक्षा और प्रभाव बनाए रखने के लिये सुअर के मांस (पोर्क) से बने जिलेटिन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता रहा है.

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स्विटजरलैंड की दवा कंपनी ‘नोवारटिस’ ने सुअर का मांस इस्तेमाल किये बिना मैनिंजाइटिस टीका तैयार किया था जबकि सऊदी और मलेशिया स्थित कंपनी एजे फार्मा भी ऐसा ही टीका बनाने का प्रयास कर रही हैं. हालांकि फाइजर, मॉडर्न, और एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ताओं ने कहा है कि उनके कोविड-19 टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन कई कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनके टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का इस्तेमाल किया गया है या नहीं.

इंडोनेशिया जैसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देशों में चिंता पसर गई है. ब्रिटिश इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव सलमान वकार का कहना है कि ‘ऑर्थोडॉक्स’ यहूदियों और मुसलमानों समेत विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच टीके के इस्तेमाल को लेकर असमंजस की स्थिति है, जो सुअर के मांस से बने उत्पादों के इस्तेमाल को धार्मिक रूप से अपवित्र मानते हैं.

सिडनी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर हरनूर राशिद कहते हैं कि टीके में पोर्क जिलेटिन के उपयोग पर अब तक हुई विभिन्न परिचर्चा में आम सहमति यह बनी है कि यह इस्लामी कानून के तहत स्वीकार्य है, क्योंकि यदि टीकों का उपयोग नहीं किया गया तो ”बहुत नुकसान” होगा.

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इजराइल की रब्बानी संगठन ‘जोहर’ के अध्यक्ष रब्बी डेविड स्टेव ने कहा, ”यहूदी कानूनों के अनुसार सुअर का मांस खाना या इसका इस्तेमाल करना तभी जायज है जब इसके बिना काम न चले . ” उन्होंने कहा कि अगर इसे इंजेक्शन के तौर पर लिया जाए और खाया नहीं जाए तो यह जायज है और इससे कोई दिक्कत नहीं है. बीमारी की हालत में इसका इस्तेमाल विशेष रूप से जायज है

भाषा इनपुट के साथ

Prabhat Khabar Digital Desk
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