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सीआरपीएफ जवान की वापसी में बस्तर के ताऊजी ने निभायी अहम भूमिका, घोर नक्सल इलाके में भी है खूब सम्मान

बस्तर के घोर नक्सल इलाके में भी इन्हें ताऊजी की नाम से ही जाना जाता है, कुछ लोग इन्हें गांधी जी भी कहते हैं. अपना पूरा जीवन उन्होंने इस इलाके को बेहतर करने में लगा दिया और आदिवासी इलाकों में इनकी खूब पहचान है, इज्जत है. यही कारण था कि जब उन्होंने मध्यस्थता की तो नक्सली भी मान गये .

सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह सुरक्षित वापस लौट आये उनकी वापसी को लेकर जितनी चर्चा है उतनी ही चर्चा है ताऊजी की. 90 साल के धर्मपास सैनी इस इलाके में अलग पहचान रखते हैं.

बस्तर के ताऊजी और गांधी जी के नाम से हैं मशहूर 

बस्तर के घोर नक्सल इलाके में भी इन्हें ताऊजी के नाम से ही जाना जाता है, कुछ लोग इन्हें गांधी जी भी कहते हैं. अपना पूरा जीवन उन्होंने इस इलाके को बेहतर करने में लगा दिया और आदिवासी इलाकों में इनकी खूब पहचान है, इज्जत है. यही कारण था कि जब उन्होंने मध्यस्थता की तो नक्सली भी मान गये .

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 3 अप्रैल को नक्सलियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई. नक्सलियों ने सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को अगवा कर लिया है. नक्सलियों ने मांग रखी कि अगर जवान को सुरक्षित वापस चाहते हैं तो मध्यस्तता कीजिए.

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नक्सलियों से की बातचीत  तो सुरक्षित लौटा जवान 

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मध्यस्थता की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. बस्तर के गांधीजी या ताऊजी के नाम से पूरे इलाके में मशहूर धर्मपाल सैनी ने जब कोशिश की तो जवान सुरक्षित वापस लौट आया. विनोबा भावे के शिष्य रहे सैनी लंबे समय से इस इलाके में हैं और इनके किये गये कामों की तारीफ भारत सरकार ने भी की है. धर्मपाल सैनी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है सिर्फ यही नहीं उनके नाम ऐसे कई पुरस्कार है जिसमें साल 2012 में सैनी को मैन ऑफ द ईयर भी चुना गया था. सैनी के आने से इस क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है.

कैसे बस्तर पहुंचे ताऊजी

इस जगह से प्रभावित सैनी तक हुई जब यहां की एक खबर उन्होंने 60 के दशक में अखबार में पढ़ी, खबर थी कि छेड़छाड़ करने वालों को लड़कियों सबक सिखाया. यह खबर उनके मन में बैठ गयी और इस इलाके में आने की सोचने लगे. उन्हें यह महसूस हुआ कि यहां के युवाओं में जोश तो है उन्हें बस सही दिशा देने की जरूरत है. उन्होंने अपने गुरु विनोबा भावे से इजाजत मांगी, उन्होंने इस शर्त पर इजाजत दी कि कम से कम दस साल तुम वहां रहकर इनके लिए काम करोगे, सैनी मान गये और बस्तर आ गये तब से लेकर अबतक इसी इलाके में रहते हैं.

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बच्चों को पढ़ने ेके लिए किया प्रेरित, युवा जोश को दी सही दिशा 

धर्मपाल सैनी ने मध्यप्रदेश धार जिले से कॉमर्स की पढ़ाई की. आगरा यूनिवर्सिटी से उन्होंने शिक्षा ली . यहां आकर बच्चों को स्पोर्ट्स के लिए तैयार किया. स्पोर्ट्स कंपीटिशन में यहां के 100 बच्चे अलग – अलग प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं और जीतते हैं. इस इलाके में उन्होंने इतना काम किया कि शिक्षा का स्तर भी ऊंचा कर दिया, बच्चों को स्कूल जाने, पढ़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं.

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