14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

azadi ki ladai : शोध में हुआ खुलासा, आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों ने मार दिये थे 282 सैनिक

azadi ki ladai पंजाब यूनिवर्सिटी के punjab university मानवशास्त्र विभाग में हाल ही हुए शोध से आज़ादी की लड़ाई के नए तथ्य का पता चला है. punjab university reserch शोध में पता चला है कि पंजाब के अजनाला गुरुद्वारे के कुएं से जो कंकाल मिले थे, वे बंटवारे के वक्त हुए दंगों में मारे गए लोगों के नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों के थे.

पंजाब यूनिवर्सिटी के मानवशास्त्र विभाग में हाल ही हुए शोध से आज़ादी की लड़ाई के नए तथ्य का पता चला है. शोध में पता चला है कि पंजाब के अजनाला गुरुद्वारे के कुएं से जो कंकाल मिले थे, वे बंटवारे के वक्त हुए दंगों में मारे गए लोगों के नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों के थे. 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का हुक्म नहीं मानने पर इन सैनिकों की हत्या कर के उनके शव इसी कुएं में फेंक दिए गए थे .

अमृतसर में तैनात रहे तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर फेडरिक हेनरी कूपर ने एक किताब लिखी थी – ‘द क्राइसिस ऑफ़ पंजाब’. इस किताब में उन्होंने इस नरसंहार की ज़िक्र किया है. पंजाब की एक शोधार्थी ने इंग्लैण्ड में यह किताब पढ़ने पर यह ब्योरा मिला कि 1857 की क्रांति में अंग्रेज़ अफ़सरों की हुक्मउदूली करने की सज़ा के तौर 282 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इनके शव पंजाब के अजनाला गांव में बने गुरुद्वारे के कुएं में फेंक दिए गए थे.

Also Read: सुशांत मामले पर याचिका, केंद्र ने कहा, टीवी समाचार मामले में कानून पर्याप्त

इसके पहले समझा जाता था कि ये कंकाल 1947 में दंगों में मारे गए लोगों के हैं. ‘द क्राइसिस ऑफ़ पंजाब’ के दिए गए तथ्य का पता चलने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के मानवशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जेएस सहरावत पिछले छह वर्षों से इस पर शोध कर रहे हैं ताकि सैनिकों के बारे में पता लगाया जा सके.

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में सैनिकों की खोपड़ी में मिले दांतों की स्टेबल आइसोटोप तकनीक के ज़रिये जांच कराई गई, जिससे पता लगा कि मारे गए सैनिक किस राज्य के थे. लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ़ पेलियो साइंसेज़ में माइटोकॉंड्रियल डीएनए की जांच में यह भी पता चला कि इन सभी की उम्र 20 से 50 साल के बीच रही होगी.

डॉ. सहरावत ने अवशेषों की रेडियो कार्बन डेटिंग हंगरी में कराई, जिसमें इन सैनिकों के जन्म और मृत्यु के वर्ष का भी पता चल गया है. बकौल डॉ. सहरावत, जांच का मकसद मारे गए सैनिकों की पहचान करना है ताकि उनके अवशेष परिवार वालों को सौंपे जा सकें.

Also Read: maharashtra news in hindi : महाराष्ट्र सरकार उर्मिला को बनायेगी एमएलसी, भेजा नाम

अपने शोध में डॉ. सहरावत काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं. शोध के नतीजे के मुताबिक मारे गए सैनिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, बंगाल, ओडिशा, मेघालय आदि राज्यों के थे और अर्से से अपनी तैनाती वाली जगह पर रह रहे थे.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें