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APJ Abdul Kalam Birth Anniversary : बोकारो के हेलीकॉप्टर हादसे के दूसरे दिन सुबह 8 बजे तक सोते रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

APJ Abdul Kalam Birth Anniversary : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का झारखंड के बोकारो में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. सितंबर 2001 में यह हादसा हुआ था जिसके बाद उन्हें डॉक्टरों की टीम ने एक खास दवा दी. इसके बाद उन्हें गहरी नींद आ गई.

APJ Abdul Kalam Birth Anniversary : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के सबसे प्रिय वैज्ञानिकों में से एक थे. अपनी सादगी और दूरदर्शी विचारों के कारण वह छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय रहे. वह 2002 से 2007 तक देश के 11वें राष्ट्रपति भी रहे और उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा गया. 15 अक्टूबर को यानी आज उनकी जयंती है. उनकी जयंती पर आपको झारखंड से जुड़ी एक बात बताते हैं.

हेलीकॉप्टर हादसे में बाल–बाल बचे थे कलाम

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का एक ऐसा क्षण था जब मौत उनके सामने थी, लेकिन वह शांत और आत्मविश्वासी बने रहे. सितंबर 2001 में, वह झारखंड के बोकारो जिले में एक पवन हंस हेलीकॉप्टर में यात्रा कर रहे थे, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया. उस समय कलाम प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार थे और रांची से बोकारो एक स्कूल कार्यक्रम में जा रहे थे. हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बावजूद उनके चेहरे पर मुस्कान थी और उनका आत्मविश्वास देखकर सभी लोग प्रभावित हुए. यह हादसा उनके भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के लगभग दस महीने पहले हुआ था.

हेलीकॉप्टर जोरदार झटके के साथ जमीन पर गिरा

हेलीकॉप्टर दुर्घटना का जिक्र ‘तेजस्वी मन’ नाम की किताब में किया गया है. इस किताब में कलाम ने लिखा है कि 30 सितंबर, 2001 को मैं रांची से बोकारो जा रहा था. जिस हेलीकॉप्टर में मैं सवार था, उतरने के ठीक पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया. उसके इंजन में कुछ खराबी आ गई थी शायद…हेलीकॉप्टर जोरदार झटके के साथ जमीन पर आ गिरा. उसमें सवार सभी यात्री सुरक्षित बच गए. मैंने ईश्वर का उस वक्त शुक्रिया किया. इसके बाद मैं जरा भी विचलित नहीं हुआ. मैं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बच्चों को संबोधित करने के लिए चल पड़ा. यहां चर्चा कर दें कि उनका कार्यक्रम बोकारो के चिन्मय स्कूल में था.

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दुर्घटना की रात मुझे दवा लेने की सलाह दी गई

आगे किताब में कलाम ने जिक्र किया कि रात में डॉक्टरों की एक टीम मेरे पास आई. इस टीम ने मुझसे दुर्घटना के आघात को कम करने के लिए दवा लेने की सलाह दी. उनके कहने पर मैंने दवा ली भी. इसके बाद दवा का असर होने लगा. रोज सोने के सामय यानी रात के एक बजे से पहले मुझे उस दिन नींद आ गई. सवेरे मैं रोज छह बजे उठ जाया करता हूं लेकिन उस दिन मेरी नींद 8 बजे खुली. उस रात मैं नींद से बेचैन रहा. जागते–सोने के बीच विचारों की रेलगाड़ी सी रात भर चलती रही.

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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