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मौसम की रिपोर्ट ने बढ़ायी चिंता: इस बार भी मॉनसून कमजोर, झारखंड-बंगाल में सामान्य

नयी दिल्ली : देश में इस साल (2017 में) मॉनसून सामान्य से कम रहेगा. वेदर एजेंसी ‘स्काइमेट’ के मुताबिक देश सभी हिस्सों में औसत से कम बारिश होगी. अनुमान के मुताबिक इस साल मॉनसून 95% के करीब होगा यानी सामान्य से पांच फीसदी तक कम रहेगा. केवल पूर्वी भारत के हिस्सों खास कर ओड़िशा, झारखंड […]

नयी दिल्ली : देश में इस साल (2017 में) मॉनसून सामान्य से कम रहेगा. वेदर एजेंसी ‘स्काइमेट’ के मुताबिक देश सभी हिस्सों में औसत से कम बारिश होगी. अनुमान के मुताबिक इस साल मॉनसून 95% के करीब होगा यानी सामान्य से पांच फीसदी तक कम रहेगा. केवल पूर्वी भारत के हिस्सों खास कर ओड़िशा, झारखंड व पश्चिमी बंगाल में सामान्य बारिश की संभावना है. यह अनुमान चिंता पैदा करता है, क्योंकि देश में होनेवाली 70 फीसदी बारिश दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर ही निर्भर है, जो जून से सितंबर के बीच होती है.

देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए भी यह संकेत शुभ नहीं है, क्योंकि खरीफ की फसल की बुआई इसी बारिश के भरोसे है. पश्चिमी इलाके और इससे जुड़े मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बरसात हो सकती है, वहीं पूर्वी भारत में अच्छी बारिश की संभावना है. मध्य भारत में माॅनसून जून के दूसरे हफ्ते तक पहुंचेगा. वहीं 22 व 24 जून तक उत्तर भारत में पहुंचेगा.

अलनीनो प्रभाव

स्काइमेट के मुताबिक मॉनसून के सेकंड हाफ में ‘अलनीनो’ की 60 फीसदी आशंका है. इसकी वजह से मॉनसून के लंबी अवधि के तीन महीनों यानी जुलाई, अगस्त और सितंबर में कम बारिश का अनुमान है. अलनीनो के कारण दुनिया में बाढ़, सूखा जैसे अनेक मौसमी बदलाव आते हैं.

खरीफ फसलों पर असर

यदि मॉनसून कमजोर रहा, तो खरीफ फसलों की कीमतों में तेजी आना भी तय है. खरीफ की मुख्य फसल चावल, मक्का, सोयबीन, कपास और ग्वार है. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द और सूर्यमुखी की फसल भी बोई जाती है. देश में जून से सितंबर तक होने वाली बारिश प्रमुख खरीफ फसल के लिए अहम है.

110 साल में भारत का तापमान 0.60 डिग्री बढ़ा

बीते 110 साल मे भारत के तापमान में 0.60 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और बीते 30 साल में लू के थपेडों जैसे हालात में भी बढ़ोत्तरी हुई है. पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. दवे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की पांचवीं आकलन रिपोर्ट वर्ष 2014 में प्रकाशित हुई थी, जिसके अनुसार, समुद्री सतह और भूमि के वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि साल 1880 से 2012 के बीच 0.85 डिग्री रही.

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