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उद्धव बोले, भाजपा समझ गयी है अपनी गलती लेकिन अब चुनाव बाद गंठबंधन नहीं

मुंबई : मुम्बई महानगरपालिका में भाजपा के साथ लडाई में उलझी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कटु संबंध वाले अपने इस सहयोगी के साथ (इस नगर निकाय) चुनाव के बाद किसी गठजोड से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा को अपनी भूल समझ में आ गयी है और इसलिए वह शिवसेना से […]

मुंबई : मुम्बई महानगरपालिका में भाजपा के साथ लडाई में उलझी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कटु संबंध वाले अपने इस सहयोगी के साथ (इस नगर निकाय) चुनाव के बाद किसी गठजोड से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा को अपनी भूल समझ में आ गयी है और इसलिए वह शिवसेना से सुलह की आस में है. भाजपा पर प्रहार जारी रखते हुए शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर ‘रेनकोट’ संबंधी टिप्पणी करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उडाया. उसने आजादी के बाद देश को विकास के मार्ग ले जाने को लेकर कांग्रेस की जमकर प्रशंसा भी की.

ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र में एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘:भाजपा अध्यक्ष: अमित शाह कहते हैं कि :बीएमसी चुनाव में: यह दोस्ताना मैच है. उसका बस यह मतलब है कि भाजपा को अपनी गलती का अहसास हो गया है. वह समझ गयी है कि उसने गलत कदम उठा लिया है और उसके लिए मुम्बईवासियों के गुस्से से लडना मुश्किल है. इस तरह वह अब हमारे पास वापस आने का प्रयास कर रही है. ” शाह ने रविवार को कहा था कि शिवसेना के साथ कोई मतभेद नहीं है. उन्होंने उम्मीद जतायी थी कि महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव स्वतंत्र रुप से लडने के पार्टी के फैसले से गठबंधन को कोई नुकसान नहीं पहुंचने जा रहा है.
उद्धव ने कहा, ‘‘लेकिन मैं क्यों अब उससे (भाजपा से) समझौता करुं. जब एक बार मैंने उसके दिमाग के बुरे विचार देख लिए हैं तो मैं क्यों उससे गले लगूं. कोई समझौता कभी नहीं होगा. यह संभव नहीं है. मैं अब दृढ हूं. यदि मैं दृढ नहीं होता तो मैंने यह घोषणा नहीं की होती कि मैं भविष्य में अपनी पार्टी के लिए नया रास्ता ढूंढ रहा हूं. ” जब उनसे पूछा गया कि क्या वह महाराष्ट्र में भाजपा से समर्थन वापस लेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उसके बारे में सोचना पडेगा…..यदि वह अनैतिक तरीके से राज्य को बांटने के बारे में सोच रही है तो मुझे उसका समर्थन करने के बारे में गंभीरता से सोचना पडेगा. ” उनका इशारा भाजपा द्वारा छोटे राज्यों की वकालत किये जाने की ओर था.
उद्धव ने कहा, ‘‘वे शिवाजी महाराज के स्मारक के लिए बस जलपूजन कर उनके भक्त नहीं बन सकते.” शिवसेना बृहन्मुम्बई महानगरपालिका :बीएमसी: का चुनाव अपने बलबूते पर ही लड रही है और वह भाजपा को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रुप में निशाना बना रही है, जबकि यह बहुकोणीय मुकाबला है. इस चुनाव में कांग्रेस और राकांपा भी मैदान में है. बीएमसी चुनाव 21 फरवरी को है. भाजपा को और चिढाते हुए सामना के एक संपादकीय में केंद्र में कांग्रेस सरकारों द्वारा किये गये विकास कार्यों की प्रशंसा की गयी है. संपादकीय में यह कहते हुए मोदी पर निशाना साधा गया है कि वह नोटबंदी से फैली ‘‘अराजकता” मानने को तैयार नहीं हैं. अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर मोदी के ‘रेनकोट’ संबंधी कटाक्ष पर सामना ने कहा कि भ्रष्ट तत्वों के साथ सत्ता में रहना भी भ्रष्टाचार है.
शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘कांग्रेस सरकारों के कार्यों (को समझने) के लिए मोदी को अफ्रीका के किसी पिछडे देश का शासन करना होगा.” इसमें कहा गया, ‘‘यदि कोई यह भी विश्वास करता है कि भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर कांग्रेस ने शासन किया तो (उसे यह मानना होगा कि) उसने आजादी से पहले एक सूई भी नहीं बनाने वाले इस देश को एक ऐसा राष्ट्र बना दिया जो आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के मोर्चे पर आगे है. आज भारत जो कुछ है, पिछले शासकों ने बनाया है.” सामना में कहा गया है, ‘‘इंदिरा गांधी ने 1971 की लडाई में पाकिस्तान को सबक सिखाया लेकिन राष्ट्रविरोधियों पर कभी ढोंगी रुख नहीं दर्शाया, नोटबंदी से गरीबों को मुश्किल में नहीं डाला एवं ऐसे में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें दुर्गा कहा. ” इसने कहा, ‘‘उनकी दृढ इच्छाशक्ति राष्ट्र का कवच थी.
उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, देश की अर्थव्यवस्था बेहतर बनायी, खालिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया एवं संदेश दिया कि भारत आतंकवादियों के सामने घुटने नहीं टेकेगा. उन्होंने देश की खातिर अपना जान कुर्बान कर दी. ” राजीव गांधी की प्रशंसा करते हुए संपादकीय में कहा गया, ‘‘उनमंे स्वच्छ तरीके से शासन करने की इच्छा थी. भले ही उन पर बोफोर्स का दाग लगा हो लेकिन उन्हें भारत में कंप्यूटर लाने का श्रेय जाता है. आज की प्रौद्योगिकी का विकास उनके द्वारा डाली गयी मजबूत बुनियाद का परिणाम है. ” सामना का कहना है, ‘‘नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह देश को आर्थिक असंतुलन से बचाने में सफल रहे. यदि पिछले 60 साल में यह सब नहीं होता तो मोदी सोमालिया या बुरंडी जैसे देश पर शासन कर रहे होते.”

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