नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी, विकसित देशों के संरक्षणवाद की ओर बढने और कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी परिस्थितियों के बीच केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय कुप्रभावों से बचाने के लिए ‘सुरक्षा दीवार’ बनायी जिससे भारत आज भी दुनिया की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था बना हुआ है.
वर्ष 2017-18 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में अरुण जेटली ने कहा, ‘‘अभी वैश्विक आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. स्वाभाविकरूप से यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है. अंतरराष्ट्रीय कारोबार मंदा हो तब वह किसी भी देश के विकास और जीडीपी को प्रभावित करता है. ऐसे में खरीददार की जेब में पैसे कम होते हैं और कारोबार प्रभावित होता है, मांग कम होती है और इससे निर्यात भी प्रभावित होगा.
इसके साथ एक महत्वपूर्ण परिस्थति यह उत्पन्न हुई है कि विकसित देशों में संरक्षणवाद का विचार फिर से पैदा हुआ है और उनकी नीतियों संरक्षणवाद की ओर बढ रही हैं.’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत हमारे समक्ष एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि हम कच्चे तेल के मूल खरीददार है और उनके कीमतों पर असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. जेटली ने कहा, ‘‘ ऐसी परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था को आगे बढाना और अपनेलिए इन अंतरराष्ट्रीय परिस्थति से बचाने के वास्ते सुरक्षा की दीवार बनाना जरूरी था और पिछले ढाई वर्षों में हमारी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है.’ वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर हम जीएसटी लागू करते हैं तो देश एक बाजार बन जायेगा. आपके समक्ष एक ऐसी व्यवस्था होगी जहां कर के ऊपर कोई कर नहीं होगा. जबकि अभी आप देखते हैं कि 30 से अधिक बाजार है और अनेक प्रकार के कर हैं. ‘‘ और इसलिए हर राजनीतिक दल ने इसका समर्थन किया है. नोटबंदी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत मुद्रा उच्च श्रेणी के नोटों के रही है और इसलिए हम किसी दूसरे देश से इसकी तुलना नहीं कर सकते. नकदी व्यवस्था के कारण यह पता नहीं चलेगा कि किसके धन का लेनदेन हो रहा है.
उन्होंने कहा कि आरबीआइ को यह सही सही गिनती करने में समय लगेगा कि नोटबंदी के फैसले के बाद कितनी नकदी जमा हुई. यह आसान प्रक्रिया नहीं है और हड़बड़ी में गणना नहीं की जा सकती.
अर्थव्यवस्था समानांतर अर्थव्यवस्था के साथ नहीं चल सकती है
जेटली ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था समानांतर अर्थव्यवस्था और समानांतर मुद्रा के साथ नहीं चल सकती है. और इसलिए विमुद्रीकरण का फैसला किया गया और अगर हम जीएसटी से विमुद्रीकरण को जोड़कर देखें तक इसके फायदों का पता चलेगा. ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की आय वालों को कर में छूट देने का और उसे 10 प्रतिशत से पांच प्रतिशत किये जाने का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि इसका उद्देश्य छोटे करदाताओं का बोझ कम करना है जिससे उनके हाथ में पैसा रहे.
उन्होंने कहा, ‘‘ इससे वस्तुत: तीन लाख तक की आय पर कर नहीं देना होगा. ‘ राजनीतिक चंदे के संबंधमें बीजद के भतृर्हरि महताब और अन्य सदस्यों की चिंताओं पर जेटली ने कहा कि इस विषय पर जब भी कोई समाधान निकाला जाएगा, उसमें समस्या निकल सकती है. लेकिन इसलिए समाधान की दिशा में काम को रोका नहीं जा सकता.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को न्यूनतम 2000 रपये नकदी से चंदा देने का कदम हमारा नहीं है बल्कि चुनाव आयोग के सुझाव पर यह किया गया. इस पर बाद में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान बात की जा सकती है. इसमें और सुधार की संभावनाएं हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि चैक से या डिजिटल तरीके से छोटे छोटे चंदाें से व्यवस्था पारदर्शी होगी. बजट में बैंकों से बांड लेकर राजनीतिक चंदे के प्रावधान के संबंध में उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में बैंक कानून के तहत दानदाता का उल्लेख नहीं कर सकते, यह गुप्त रहेगा और राजनीतिक दलों का चंदा भी वैध होगा.
उन्हेांने कहा कि आदर्श व्यवस्था तो यह है कि देने वाले और लेने वाले का ब्योरा सार्वजनिक हो लेकिन विभिन्न कारणों से लोग चंदा देते समय अपना ब्योरा सार्वजनिक नहीं करना चाहते. सरकारी खर्च पर चुनाव करवाने के तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के विचार पर जेटली ने कहा कि इस बारे में बाद में चर्चा की जा सकती है. गैर निष्पादित आस्तियों अर्थात एनपीए के संबंध में जेटली ने कहा कि ज्यादातार एनपीए बड़ी कंपनियों के हैं जो संप्रग की देन हैं और हमें विरासत में मिले हैं. हम उन पर ब्याज अदा कर रहे हैं.
जब कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने राजग सरकार में बैंक प्रबंधन में समस्या की बात कही तो जेटली ने कहा कि समस्या हमारे बैंक प्रबंधन में नहीं आपके बैंकों के खराब प्रबंधन की वजह से है.
जेटली ने कहा कि एनपीए के संबंध मेंकांग्रेस को आत्मावलोकन की जरूरत है.
जेटली ने कहा कि 26 मई 2014 को राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसी भी कारोबारी को एक रुपया भी बैंक से फायदा नहीं पहुंचाया गया. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी वर्तमान केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह कारोबारी घरानों को फायदा पहुंचा रही है. गैर निष्पादित आस्तियों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि एनपीए का प्रतिशत इसलिए नहीं बढा क्योंकि हमने बिना जवाबदेही केकर्ज दिये बल्कि इनमें से अधिकांशकर्ज 2007, 2008 और 2009 की अवधि में दिये गए जब अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर था. उन्होंने कहा कि आपका आरोप तो ऐसा है कि आपके पाप को हम नहीं सुधार रहे हैं. बल्कि आपके कर्मो पर हम ब्याज दे रहे हैं. आप हमारे ऊपर ऐसे आरोप नहीं लगा सकते हैं. जेटली ने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा काफी मात्रा मेंकर्ज कुछ औद्योगिक घरानों को दिये गए और किसानों को नहीं दिये गए.
उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज सामने आए हैं, उससे स्पष्ट होता है कि येकर्ज नार्थ ब्लाक के हस्तक्षेप पर दिये गए और संबंधित बैंक अधिकारी को इसका अब भुगतान करना पड़ रहा है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ ये कोई छोटे मोटे लोग नहीं थे. ये बड़ी कंपनियां थीं. यह आपकी विरासत थी, यह आपका योगदान था. हमारा दुर्भाग्य यह है कि हर साल ब्याज बढ रहा है और यह 4.1 प्रतिशत से बढकर 5.1 प्रतिशत हो गया और फिर 6.1 प्रतिशत हो गया. राजग को संप्रग के कर्मो का ब्याज भुगतान करना पड रहा है.’ वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से कहा था कि देशहित को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र के विकास की दिशा में सरकार ने हर कदम उठाया.
उन्होंने कहा कि 2003 से 2008 के काल में अर्थात राजग सरकार के अंतिम वर्ष और उसके बाद संप्रग सरकार के चार वर्षो के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर था और स्वाभाविकरूप से भारत को भी इसका लाभ मिला. साल 2008 में पहली बार वैश्विक मंदी आई और यह वैश्विक मंदी का दौर लंबा खिंचा. वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया को यह पता नहीं चल रहा था कि मांग कैसे बढाई जाए. उसके अलावा तत्कालीन संप्रग सरकार दो घरेलू मुद्दों पर प्रभावित हुई. आप समझ नहीं पाये कि यह विवेकाधीन चीजों, विषमता और संसाधनों के असमान वितरण को समाप्त करने का समय है. आपकी इन्हीं त्रुटियों से हमने सबक सीखा और उसे दुरुस्त किया.
कांग्र्रेस पर निशाना साधते हुुए जेटली ने कहा कि कोयला ब्लाक से टू जी सभी जगहों पर परेशानी थी. आपको आरोपों, प्रतिकूल रिपोर्टो और अदालत की प्रतिकूल टिप्पणियों का सामना करना पड रहा था और निवेशक दूर जा रहे थे. आप संसाधनों के पुनर्वितरण पर जोर दे रहे थे और उत्पादन का आकार बढाने पर ध्यान नहीं दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि आप विरासत की बात करते हैं. संप्रग के कार्यकाल में एक समय चालू खाता घाटा 4.5 प्रतिशत था जो अस्वीकार्य था. आप जब सत्ता छोडकर गए तब भी सीएडी 2.1 प्रतिशत था. आपके समय में राजकोषीय घाटा उच्च स्तर पर था और राजकोषीय अनुशासन की स्थिति खराब थी. इसके अलावा मुद्रास्फीति की दर उच्च थी. अभी सीएडी 0.2 प्रतिशत है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता बेहद खराब थी क्योंकि आप खर्च में कटौती करके घाटे को कम करने का प्रयास कर रहे थे जिससे विकास गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं.
हमने खर्च को बनाये रखते हुए संसाधनों का प्रवाह बढाकर घाटे को नियंत्रित करने का प्रयास किया. जेटली ने कहा कि विमुद्रीकरण का निर्णय पारदर्शिता लाने वाला, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कदम है जो डिजिटल व्यवस्था को आगे बढाने और लैसकैश व्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने कहा कि साल 2012 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान जो श्वेतपत्र जारी किया गया था, उसमें नकदी को अपराध को प्रोत्साहित करने वाला बताया गया था. वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे पास नवंबर और दिसंबर के आंकड़े आए, उस समय नोटबंदी का असर था. कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा. लेकिन क्यों दिसंबर के महीने में केंद्र का सीमा शुल्क जमा बढ गया और राज्यों का वैट जमा बढ गया जबकि दिसंबर में नोटबंदी का सबसे अधिक प्रभाव था.
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत मुद्रा उच्च श्रेणी के नोटों के रही है और इसलिए हम किसी दूसरे देश से इसकी तुलना नहीं कर सकते। नकदी व्यवस्था के कारण यह पता नहीं चलेगा कि किसके धन का लेनदेन हो रहा है. उन्होंने कहा कि कालाधन संपत्ति, हीरे जवाहरात के रुप में है. हम भी इस बात को मानते हैं. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता.जेटली ने कहा कि आम बजट का समय बदलने के विषय पर एक समिति ने विस्तृत रिपोर्ट दी थी। हमने उस समिति के प्रस्तावों पर काम किया.