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पाकिस्तान को भारत की खरी-खरी, आतंकवाद जारी रहा तो नहीं होगी कोई वार्ता

नयी दिल्ली : नगरोटा में सेना के शिविर पर हमले के मद्देनजर सख्ती से पेश आते हुए भारत ने आज स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद जारी रहने के माहौल में पाकिस्तान के साथ वार्ता नहीं हो सकती, जिसे द्विपक्षीय संबंध में ‘नई सामान्य स्थिति’ के रुप में भारत कभी नहीं स्वीकार करेगा. विदेश मंत्रालय के […]

नयी दिल्ली : नगरोटा में सेना के शिविर पर हमले के मद्देनजर सख्ती से पेश आते हुए भारत ने आज स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद जारी रहने के माहौल में पाकिस्तान के साथ वार्ता नहीं हो सकती, जिसे द्विपक्षीय संबंध में ‘नई सामान्य स्थिति’ के रुप में भारत कभी नहीं स्वीकार करेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने यह भी कहा कि अगले कदमों पर फैसला करने से पहले सरकार नगरोटा हमले के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं इस बात पर जोर देना चाहुंगा कि सरकार ने इस घटना को बहुत गंभीरता से लिया है और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उसे जो भी जरुरी लगेगा वह किया जाएगा.” यह पूछे जाने पर कि क्या अमृतसर में तीन और चार दिसंबर को होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता होगी, उन्होंने बताया, ‘‘हमें द्विपक्षीय बैठक के लिए पाकिस्तान से कोई अनुरोध नहीं मिला है.”

स्वरुप ने कहा, ‘‘भारत हमेशा से बातचीत के लिए तैयार रहा है, लेकिन बेशक यह वार्ता आतंकवाद के जारी रहने के माहौल में नहीं हो सकती. भारत जारी आतंकवाद को द्विपक्षीय संबंध में नयी सामान्य स्थिति के रुप में कभी स्वीकार नहीं करेगा.” सम्मेलन से दो दिन पहले भारत की तीखी टिप्पणी आई है. सम्मेलन में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज करेंगे. इससे पहले पाक मीडिया में आई खबरों में अधिकारियों के हवाले से बताया गया था कि अफगानिस्तान पर होने वाले इस सम्मेलन से इतर कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को संयुक्त रुप से मंत्रीस्तरीय वार्ताओं की शुरुआत करेंगे जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे क्योंकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अस्वस्थ हैं. पाकिस्तान को आडे हाथ लेते हुए स्वरुप ने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसका सीमा पार से आतंकवाद चलाने का लंबा इतिहास है और जिसे वह अपनी शासन नीति का औजार मानता है तथा इसी वजह से इस्लामाबाद शेष अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अलहदा है.

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